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सज-धजकर नगर भ्रमण पर निकले बाबा खाटू श्याम, एक झलक पाने उमड़ा आस्था का सैलाब, भीड़ देख पुष्पवर्षा कैंसिल
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एकादशी पर रथ पर सवार होकर बाबा नगर भ्रमण पर निकले हैं। भक्तों की जय-जयकार से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। बाबा श्याम के रथ को फूलें से सजाया गया है। मंदिर से निकला बाबा का रथ श्याम कुंड, शनि मंदिर, हॉस्पिटल रोड होते हुए पुराना बस स्टैंड से कबूतर चौक पहुंचेगी।
खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए हरियाणा (Haryana), पंजाब (Punjab) और दिल्ली (Delhi) समेत दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सड़कें श्रद्धालुओं से पटी हैं। दूर-दूर तक आस्था ही दिखाई दे रही है। एकादशी के दिन यहां श्रद्धा परवान पर चढ़ा हुआ है। भक्त पैदल जयकारे लगाते हुए पहुंच रहे हैं।
कोरोना के चलते यहां दो साल पाबंदियों के चलते कम श्रद्धालु ही पहुंच रहे थे। इस बार पाबंदियां हटने के बाद भक्ति-भाव दिखाई दे रहा है। सिर्फ एकादशी पर यानी सोमवार को ही पांच लाख के करीब श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का अनुमान है। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस-प्रशासन अलर्ट है।
मेले में भीड़ को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात हैं। आला अफसर लगातार जायजा ले रहे हैं। कंट्रोल रूम से भी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस जवानों को साफ निर्देश दिए गए है कि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो। व्यवस्थाओं पर नजर रखने का भी निर्देश है।
खाटूश्यामजी का मेला पूरे विश्व में विख्यात है। खाटू मंदिर में पांडव भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र वीर बर्बरीक का शीश विग्रह रूप में विराजमान है। बर्बरीकजी को उनकी अतुलनीय वीरता एवं त्याग के कारण भगवान श्री कृष्ण से वरदान मिला था कि कलियुग में बर्बरीक स्वयम् श्री कृष्ण के नाम एवं स्वरूप में पूजे जाएंगे। इसलिए बर्बरीक श्री श्याम बाबा के रूप में खाटू धाम में पूजे जाते हैं। बर्बरीक जी का शीश फाल्गुन शुक्ल एकादशी को प्रकट हुआ था, लिहाजा इस उपलक्ष्य में फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी से द्वादशी तक यहां विशाल मेला लगता है।