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सीकर के इस किसान को सलाम: जो अरबपति नहीं कर सके, वो उसने पत्नी की याद में कर दिखाया
सीकर. सेठ साहूकारों व दानवीरों की धरती शेखावाटी में फिर एक भामाशाह ने दानशीलता की मिसाल पेश की है। जिले के रानोली कस्बे के किशनुपरा गांव में किसान भागीरथ मल ने अपनी पत्नी की याद में अस्पताल बनवाकर स्वास्थ्य विभाग को दान किया है। जिसकी जमीन व भवन निर्माण की लागत करीब 35 लाख रुपये है। भवन में अब आयुर्वेद अस्पताल का संचालन होगा। सोमवार को हुए एक कार्यक्रम में भागीरथ मल ने भवन के दस्तावेज आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सक एचआर कटारिया को सौंपे। जिसके गवाह सैंकड़ों ग्रामीण बने।
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पत्नी की याद में बनवाना चाहते थे मंदिर
जानकारी के अनुसार किसान भागीरथ मल की पत्नी कमला देवी का कुछ समय पहले निधन हो गया था। जिनकी याद में भागीरथ मल ने गांव में एक मंदिर बनवाने की योजना बनाई। इस दौरान गांव का सरकारी औषधालय निजी भवन में किराये पर चल रहा था।
डॉक्टर की सलाह पर बदला मान और मंदिर की जगह बनाया अस्पताल
किसान के मंदिर बनवाने की जानकारी जैसे ही चिकित्सक एचआर कटारिया को मिली तो उन्होंने किसान भागीरथ मल से मुलाकात की। उन्होंने मंदिर की जगह जन सेवा के लिए जमीन व भवन अस्पताल के लिए दान करने की बात कही। जिस पर भागीरथ मल सहमत हो गए। इसके बाद करीब आधे बीघा जमीन पर उन्होंने अस्पताल के लिए भवन बनाकर स्वास्थ्य विभाग को सुपूर्द कर दिया।
10 लाख की जमीन पर बनाये पांच कमरे
गांव में मरीजों की सेवा के लिए भागीरथ मल ने अपनी करीब आधा बीघा जमीन में चार दीवारी करवाकर अस्पताल के लिए भवन निर्माण करवाया है। जिसमें पांच कमरे तैयार किए गए हैं। जहां चिकित्सकों के अलावा मरीजों के बैठने व औषधी रखने व वितरण तक की पूरी व्यवस्था की गई है।
किसान की इस पहल पर पूरे गांव के लोगों ने किया सम्मान
अस्पताल के लिए जमीन व भवन दान करने पर ग्रामीणों ने किसान भागीरथ मल का सम्मान भी किया। इस दौरान उन्हें साफा व माला पहनाकर तथा प्रतीक चिन्ह भेंट कर अभिनंदित किया गया। कार्यक्रम में मेल नर्स अमर सिंह यादव, महेंद्र लिढाण, गुलाब छबरवाल, सुखदेव सेवदा, गणपत राम जाट, मंगल चंद फौजी, महेंद्र गढ़वाल, सोहनलाल, सरदार सिंह सहित काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
नीमेड़ा व कोटड़ी में भी किसान बने भामाशाह
इससे पहले इसी महीने की चार जुलाई को सीकर के खंडेला कस्बे के नीमेड़ा गांव में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए जमीन नहीं मिलने पर किसान भाई सांवरमल व सीताराम गढ़वाल ने 70 लाख रुपये कीमत की पांच बीघा जमीन स्वास्थ्य विभाग को दान की थी। वहीं, कोटड़ी धायलान के 90 वर्षीय बुजुर्ग सूरज सिंह धायल ने अपनी चार बीघा जमीन जन सेवा के लिए दिवंबत बेटे विजयपाल की स्मृति में दान कर दी थी।