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यहां हर खाली झोली भर जाती: विदेश से भी आते भक्त..सांवलिया मंदिर की पूरी कहानी जहां पहुंचे संजय दत्त
चित्तौडगढ़ (राजस्थान). पूरी दुनिया में प्रसिद्ध राजस्थान के चित्तौडगढ़ का श्री सांवलिया सेठ का मंदिर अक्सर अपने चढ़ावे के लिए चर्चा में बना रहता है। बताया जाता है कि यहां दिल से मांगी हुई हर मनोकामना पूरी होती है, सांवलिया भगवान हर किसी की खाली झोली को भर देते हैं। इसलिए तो कहते हैं कि यहां मुराद से ज्यादा मांगने वाला पाता है। रविवार को बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त अपनी बहन प्रिया दत्त के साथ यहां हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे। जिसके चलते एक बार फिर यह मंदिर चर्चा में आ गया है। इस मौके पर हम आपको बताते हैं इस मंदिर की पूरी कहानी के बारे में...
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कहा जाता है कि श्री सांवलिया सेठ का मंदिर आज से करीब 450 साल से ज्यादा पुराना है। जिसका निर्माण मेवाड़ राजपरिवार की ओर से करवाया गया था। यहं मंदिर चित्तौडगढ़़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 65 किमी की दुरी पर स्थित है। जहां हर साल देश ही नहीं विदेश से लाखों भक्त आकर दर्शन करते हैं। कुछ ऐसे एनआरआई भक्त भी हैं जो विदेश में बैठे हैं, अगर वह नहीं आ पाते तो डॉलर, पाउण्ड, रियॉल, दिनार को भारतीय रुपए में बदलवाकर मनी ऑर्डर कर देते हैं।
मंदिर का इतिहास मीरा बाई से भी जुड़ा हुआ बताया जाता है। कहते हैं कि सांवलिया भगवान मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल हैं, जिनकी भक्ति में वो दिन रात पूजा किया करती थीं। हालांकि यह भी बताया जाता है कि सन 1840 में गांव मंडफिया के रहने वाले भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को एक सपना आया था कि भादसोड़ा-बागूंड के छापर में 4 मूर्तियां ज़मीन में दबी हुई हैं। जब उसने यह बात उदयपुर मेवाड़ राज-परिवार को बताई तो उन्होंने उस जगह पर खुदाई करवाईष। जहां से एक जैसी 4 मूर्तियां निकलीं इसके बाद सांवलिया जी का मंदिर बनवाया गया।
किवदंतियों के अनुसार मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मूर्तियां थीं। बताया जाता है कि जब औरंगजेब की सेना मंदिरों को तोड़ रही थी, तो उस दौरान मुगलों की सेना को इन मूर्तियों के बारे में पता चला। ऐसे में संत दयाराम ने सांवालिया सेठ की इन मूर्तियों को एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोद कर छिपा दिया था।
बता दें कि श्री सांवलिया सेठ मंदिर मे हर माह अमावस्या के एक दिन पूर्व दानपात्र खोला जाता है। जहां दान किए गए नोटों के गिनने के लिए लोगों की ड्यूटी लगाई जाती है। रुपयों की गिनती सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होती है। अभी तक हर महीने यहां 3 से लेकर 4 करोड़ तक का चढ़ावा आता है। इतना ही नहीं दानपात्र से निकले की गिनती को देखने के लिए हजारों श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। हालांकि प्रशासन यह काम अपनी मौजूदगी में करवाता है।
श्री सांवलिया मंदिर को लेकर ऐसी ऐसी मान्यता है कि जो श्रृद्धालु यहां जितना भी चढ़ावे में चढ़ाते हैं, सांवलिया सेठ उनके खजाने को उससे कई गुना भर देते हैं। इतना ही नहीं यहां पर कई लोगों ने अपनी साल या महीने की इनकम का एक हिस्सा यहां पर रखकर जाते हैं। वह हर माह यहां आते हैं और अपना हिस्सा रखकर चले जाते हैं। यह राशि 2 से लेकर 20 फीसदी तक है। मान्यता है कि भगवान इसे कई गुना कर देते हैं।
सांवलिया जी मंदिर में करीब 500 लोगों का स्टाफ है। जो मंदिर की देखरेख में लगा हुआ है। दानपात्र से निकलने वाली राशि से मंदिर ट्रस्ट कई सेवा कार्य भी करती है। आसपास के करीब 25 गांवों का विकास भी इसी दान की गई राशि से होता है। जैसे शिक्षा, चिकित्सा, धार्मिक आयोजन, विकास और मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने में यह राशि खर्च करता है।
बता दें कि सांवलिया जी मंदिर में नेता और या अभिनेता सभी यहां आकर हाजिर लगाते हैं। देश के सबसे बड़े और अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी का परिवार यहां कई बार दर्शन के लिए आ चुका है। इतना ही नहीं उनके पिता उद्योगपति धीरूभाई अंबानी पत्नी कोकिलाबेन अंबानी संवालिया दरबार में हाजिरी लगा चुकी हैं। बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र, शक्ति कपूर, और अब संजय दत्त यहां पहुंचे हुए हैं।
भारत के गृह मंत्री अमित शाह भी श्री सांवलिया सेठ मंदिर में अपनी हाजिरी लगा चुके हैं।