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पीएम मोदी ने की 32 बच्चों से बात, पढ़िए 7 बाल बहादुरों के किस्से..जो किसी सैनिक से कम नहीं
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रिक्शा चालक की बेटी के हौसले को दुनिया ने किया सलाम
लॉकडाउन में दरभंगा की ज्योति कुमारी को लॉकडाउन में साइकिल गर्ल से जाना जाने लगा है। बताते हैं कि वो उनके पिता मोहन पासवान गुरुग्राम में ई-रिक्शा चलाते थे। ई रिक्शा उनका खुद का नहीं बल्कि किराए पर था और वहां झोपड़ी में रहते थे। लॉकडाउन से कुछ महीने पहले उनका एक्सिडेंट हो गया था। जिससे उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी। इसी दौरान कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन कर दिया गया था। इससे उनका काम ठप हो गया था और खाने के लाले पड़ने लगे थे। जिसके बाद ज्योति ने उन्हें साइकिल पर बैठाकर दरभंगा तक आई।
11 साल की उम्र में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 28 बार दर्ज कराया नाम
11 साल के व्योम लखनऊ के निरालानगर में रहते हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 28 बार नाम दर्ज हो चुका है। दो साल चार माह की उम्र में बांसुरी वादन शुरू कर दिया था। जबकि 9 साल की उम्र में बंजी जंपिंग कर एशिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल कर लिया था। पढ़ाई के क्षेत्र में दो बार फ्यूचर कलाम अवार्ड भी पा चुके हैं। इसके अलावा तीन एशिया व 4 यूनिवर्स अवार्ड भी हासिल किया है।
13 साल में ही देश के लिए भारत को दिलाया तीन पदक
इंटरनेशनल गोताखोर पलक शर्मा 13 साल की हैं, वो 8 साल की उम्र में गोताखोरी की प्रैक्टिस करना शुरू की थी। वो साल 2019 में एशियन एज ग्रुप चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पलक अब तक की सबसे कम उम्र की गोताखोर भी बनी थीं। इसके अलावा छोटी सी उम्र में ही वे पांच राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इनमें विभिन्न वर्गों में कुल 11 स्वर्ण पदक हासिल किए हैं।
12 साल की उम्र यूट्यूब से सीख ली थी कोडिंग
गौतमबुद्धनगर जिले में सेक्टर 40 के रहने वाले चिराग भंसाली 11वीं के छात्र हैं। चिराग ने चीनी ऐप पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद स्वदेशी टेक नाम की वेबसाइट बनाई है। इस प्लेटफार्म पर भारतीय यूजर्स के लिए चीन के हर प्रतिबंध ऐप का विकल्प मौजूद है। चिराग बताते हैं कि इस वेबसाइट बनाने का विचार क्लासरूम में बैठे-बैठे आया था। एक सप्ताह में बनी वेबसाइट का 12 जून 2020 को लांचिंग हुई थी। चिराग ने महज 12 साल की उम्र में यूट्यूब के जरिए कोडिंग करना सीख लिया था।
13 साल के भाई ने सांड से बहन के लिए किया था मुकाबला
बाराबंकी जिले के मखदूमपुर गांव निवासी कुंवर दिव्यांश सिंह 13 साल की उम्र में अपनी बहन को बचाने के लिए सांड से लड़ गए थे। वो अपनी 5 साल की बहन स्कूल से लौट रहे थे। तभी एक सांड ने उसकी बहन पर हमला कर दिया। दिव्यांश ने अपने स्कूली बैग से ही सांड से भिड़ गया। दिव्यांग के दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। लेकिन उसने हार नहीं मानी। आखिरकार में सांड को भगाकर बहन की जान बचा ली। इसके लिए इन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर सहित करीब 24 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
मोटर मैकेनिक के बेटे ने अमेरिका में बढ़ाया भारत का मान
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र मोहम्मद शादाब ने केनेडी-लूगर यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी स्कॉलरशिप के जरिए अमेरिका के बेलफास्ट एरिया हाईस्कूल में पढ़ाई की थी। उसने 97.6 फीसदी नंबर हासिल कर स्कूल टॉप किया था। उसे स्कॉलरशिप में 28 हजार अमेरिकी डॉलर मिले थे। उसे फरवरी 2020 में स्कूल में स्टूडेंट ऑफ द मंथ भी चुना गया था। शादाब के पिता अरशद नूर मोटर मैकेनिक हैं। मां जरीना बेगम गृहिणी हैं।
17 साल के इस लड़के ने 10 साल बाद दिलाया था देश मेडल
प्रयागराज के सिविल लाइन एरिया में रहने वाले 17 साल के मोहम्मद राफे का खेल श्रेणी में चयन हुआ है। साल 2019 में मोहम्मद राफे ने मंगोलिया की राजधानी उलान बाटर हवे में हुई जूनियर एशियन गेम्स में भारत को जिम्नास्टिक में कांस्य पदक दिलाया था। बता दें कि जूनियर एशियन गेम्स में बीते 10 सालों में भारत को जिम्नास्टिक में कोई मेडल नहीं मिला था। अब मोहम्मद ओलंपिक में गोल्ड पदक हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। खेल गांव पब्लिक स्कूल में 12वीं के छात्र मोहम्मद का चयन सेना के लिए हो चुका है। अब वे सेना की तरफ से खेलेंगे।