- Home
- States
- देश के ये भी हैं 10 शख्स, जिन्हे मिला पद्म सम्मान, जिनकी कहानियां पढ़कर आप भी करेंगे सलाम
देश के ये भी हैं 10 शख्स, जिन्हे मिला पद्म सम्मान, जिनकी कहानियां पढ़कर आप भी करेंगे सलाम
- FB
- TW
- Linkdin
पति से छुप-छुपकर लिखती थीं, सपोर्ट मिला तो लिख डालीं 100 किताबें
आगरा की रहने वाली डॉ. ऊषा यादव अब तक सौ से ज्यादा पुस्तकों की रचना कर चुकी हैं। जब वो नौ साल की थी तभी उनकी रचना पत्रिका में छपी थी। वे बताती हैं कि शादी के बाद जब वे आगरा आईं तो छुप छुपकर लिखती थीं और फिर चुपके से जला देती थीं। उनके मन में आशंका थीं कि पता नहीं पति क्या कहेंगे। एक दिन उनके पति ने उनकी कुछ रचाएं देख लीं। उसके बाद पति ने उन्हें लेखन के लिए प्रेरित किया। इसके बाद तो डॉ. ऊषा यादव की कलम जब गतिमान हुई तो आज तक रुकी नहीं।
जिसे डायन बताकर किया बाहर, उसे मिला पद्मश्री
झारखंड में रहने वाली छुटनी देवी को समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। आज से 25 साल पहले उन्हें डायन बताकर घर से निकाल दिया गया था। छुटनी इस अपमान से टूटी नहीं, उन्होंने इसके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। वह पिछले 25 वर्षों से सरायकेला के बीरबांस गांव में अपने मायके में रह रही हैं। वे प्रताड़ित महिलाओं का साथ देती हैं।
मुफ्त में करते हैंं इलाज
बिहार के भागलपुर में डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह की पहचान 'गॉडफादर' की है। 93 वर्षीय डॉ दिलीप कुमार सिंह ने तकरीबन 68 साल में लाखों गरीबों का मुफ्त और कईयों का मामूली पैसा लेकर इलाज किया है। जब ज्यादातर डॉक्टर शहर में रहकर की प्रैक्टिस करते हैं दिलीप कुमार सिंह ने गांव में मोर्चा संभाला।
2 रुपए फीस लेते थे ये डॉ टी. वीराघवन
डॉ टी. वीराघवन उत्तरी चेन्नई में 'दो रुपए वाले डॉक्टर' के रूप में मशहूर थे। उनकी लोकप्रियता उनके इलाके में इतनी थी कि आसपास के डॉक्टर्स एकजुट हुए और विरोध किया वे अपनी फीस कम से कम 100 रुपए कर दें। जवाब में डॉ वीराघवन ने फीस लेना ही बंद कर दिया। हालांकि उनका पिछले साल अगस्त में निधन हो गया था। वह साल 1973 से ही मरीजों को देखते आ रहे थे और उनसे केवल 2 रुपए फीस लेते थे। बाद में उन्होंने अपनी फीस 5 रुपए कर दी थी।
12 साल में हुई थी शादी, ऐसे चित्रों से रच दिया इतिहास
दुलारी देवी बिहार के मधुबनी की रहने वाली हैं। बताते हैं कि उनकी 12 साल की उम्र में ही शादी हो गई। सात साल बाद मायके वापस लौट आईं वो भी 6 महीने की बेटी की मौत का दुख साथ लेकर। इसके बाद मधुबनी पेंटिंग बनाने लगी। वे अबतक सात हजार मिथिला पेंटिंग बना चुकी हैं।
70 साल से कॉमिक्स बना रहे नारायण देबनाथ
पश्चिम बंगाल के नारायण देबनाथ 97 साल की उम्र में भी कॉमिक्स रहे हैं। वे पिछले 70-71 सालों से बंगाली कॉमिक स्ट्रिप्स बनाते आ रहे हैं। वह पहले और इकलौते भारतीय कॉमिक हैं, जिन्हें डीलिट मिला है।
1 रुपए फीस लेकर पढ़ाते हैं सुजीत
78 साल के सुजीत चटोपाध्याय पूर्वी बर्धमान के अपने घर में पाठशाला चलाते हैं। सालभर के लिए सिर्फ 1 रुपए की फीस लेते हैं। रिटायर हुए 15 साल से भी ज्यादा का वक्त हो चुका है। वे थैलीसीमिया जैसी बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।
6 भाषाओं में सांरगी वादक करते हैं लाखा खान
राजस्थान के लाखा खान छह भाषाओं (हिन्दी, मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी और मुल्तानी) गीत गाते हैं। वह मांगणियार समुदाय में प्यालेदार सिंधी सांरगी बजाने वाले एकमात्र कलाकार हैं। सिंधी सारंगी के निर्विवाद गुरु 71 वर्षीय लाखा खान यूरोप, ब्रिटेन, रूस और जापान सहित विश्व के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
89 साल की उम्र में दे रहे मुफ्त शिक्षा
काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य रामयत्न शुक्ल 89 साल की आयु में भी नई पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ने के लिए मुफ्त शिक्षा देते हैं। वे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में प्रफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
आर्गनिक खेती करती हैं 105 साल की पप्पम्माल
तमिलनाडु से आने वाले 105 साल की एम. पप्पम्माल को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। वह भवानी नदी के किनारे अपना ऑर्गनिक फार्म चलाती हैं। इसके अलावा उनका एक प्रोविजन स्टोर भी है।