- Home
- Technology
- Tech News
- देश में LPG के लगातार बढ़ रहे दामों के बीच ई-कुकिंग ने पकड़ी रफ्तार, देखें कितने फीसदी लोग करने लगे उपयोग
देश में LPG के लगातार बढ़ रहे दामों के बीच ई-कुकिंग ने पकड़ी रफ्तार, देखें कितने फीसदी लोग करने लगे उपयोग
- FB
- TW
- Linkdin
एलपीजी के दाम बढ़ने और इसकी उपलब्धता अनिश्चित रहने की वजह से ई-कुकिंग का प्रचलन बढ़ा है। ई-कुकिंग का अर्थ है इलेक्ट्रिक उपकरणों की सहायता से खाना पकाना है। हालांकि ज्यादातर घरों में इसका इस्तेमाल वैकल्पिक भोजन पकाने के लिए ही ज्यादा किया जाता है। ज्यादातर घरों में पानी गर्म करने, मैगी जैसे इंस्टेट फूड पकाने, चाय-कॉफी बनाने, खाना गरम करने, बेकिंग आयटम पकाने के लिए किया जाता है। ई-कुकिंग अभी खाना पकाने की कुछ जरूरतें पूरी करने के लिए एलपीजी के साथ बैकअप के तौर पर काम आ रही है।
लगातार बढ़ रहे एलपीजी के दाम
घरेलू गैस के दाम लगातार बढ़ते जा रहा हैं, मध्यप्रदेश में 14.2 किलो वाले सिलेंजर के दाम 900 रुपए के पार पहुंच गए हैं। यदि आप अपने शहर में एलपीजी का दाम चेक करना चाहें तो Filledhttps://cx.indianoil.in/webcenter/portal/Customer/pages_productprice इस साइट पर विजिट कर सकते हैं। बता दें कि देश में अभी भी एलपीजी ही खाना पकाने का मुख्य ईधन हैं। वहीं सीईईडब्ल्यू (काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट और वॉटर) की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में तकरीबन 17 प्रतिशत लोग रोज कम से कम एक बार ई-कुकिंग करते हैं।
क्या भारतीय घर इलेक्ट्रिक कुकिंग के लिए तैयार हैं?
CEEW ने कहा कि हमारे नए अध्ययन में दिल्ली और तमिलनाडु में 17% लोगों ने ई-कुकिंग में स्विच किया है। शहरों में 10% इंडक्शन कुकटॉप्स, राइस कुकर और माइक्रोवेव जैसे बिजली के उपकरणों का उपयोग करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में eCooking का उठाव 3% से कम है। रिसर्च में कहा गया है कि, देश में केवल 47% लोगों ने eCooking के इस्तेमाल की बात कही है।
इलेक्ट्रिक साधनों का उपयोग ऑप्शन के तौर पर
रिपोर्ट में कहा गया है कि एलपीजी की कीमतों में वृद्धि के साथ, हमने पाया है कि एलपीजी की तुलना में सब्सिडी वाले बिजली पाने वाले घरों के लिए ई-कुकिंग अधिक होती है। लेकिन ये अभी भी urban India के अमीर परिवारों तक ही सीमित है। वहीं ई-कुकिंग अपना रहे लोग अपनी कुछ खाना पकाने की जरूरतों के लिए इसका दैनिक रूप से इसका उपयोग करते हैं। eCooking अपनाने वालों में से 93% अभी भी प्राथमिक खाना पकाने के ईंधन के रूप में LPG पर निर्भर हैं।
ई-कुकिंग को बढ़ावा देने विद्युत सप्लाई हो सुनिश्चित
बता दें कि ई-कुकिंग को किफायती बनाने के लिए विद्युत उपकरणों की कीमतों को कम करना चाहिए। इसका जोरदार प्रचार-प्रसार किया जाना भी जरुरी है। वहीं विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली सेवाएं सुनिश्चित की जाना भी आवश्यक है। ई-कुकिंग से पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकता है, वहीं एलपीजी पर निर्भरता कम होने से इसके दामों में भी कमी आएगी। एक अनुमान के मुताबिक ई-कुकिंग करें तो 450 रुपये का खर्च आता है, वहीं एक सिलेंडर की कीमत 900 रुपए के आसपास है।