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इन्कॉग्निटो मोड की वजह से Google पर लग सकता है 36 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना, जानें क्या है यह
टेक डेस्क। जो लोग टेक्नोलॉजी की दुनिया से परिचित हैं, वे इन्कॉग्निटो मोड (Incognito Mode) के बारे में जरूर जानते हैं। वैसे, इसका इस्तेमाल के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं। बता दें कि इसकी वजह दुनिया की सबसे टॉप टेक कपंनी Google बड़ी मुसीबत में फंस सकती है। उस पर 36 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। गूगल पर आरोप है कि वह इन्कॉग्निटो मोड के जरिए लोगों की निगरानी करती है और उनके प्राइवेट डेटा पर नजर रखती है। गूगल पर इस मोड के जरिए लोगों का डेटा चोरी-छुपे कलेक्ट करने का आरोप भी है। बता दें कि इन्कॉग्निटो मोडा का उपयोग प्राइवेट ब्राउजिंग के लिए किया जाता है। यह फीचर सबसे पहले एप्पल (Apple) के सफारी (Safari) ब्राउजर में आया था। जानें इसके बारे में डिटेल्स।
(फाइल फोटो)
| Published : Mar 15 2021, 06:51 PM IST / Updated: Mar 15 2021, 06:55 PM IST
इन्कॉग्निटो मोड की वजह से Google पर लग सकता है 36 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना, जानें क्या है यह
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जब भी गूगल या यूट्यूब पर कुछ सर्च किया जाता है, तो ब्राउजर इस बात को रिकॉर्ड कर लेता है कि आपने क्या सर्च किया और इसके लिए किस की-वर्ड का इस्तेमाल किया। अगर आप ब्राउजर हिस्ट्री को डिलीट नहीं करते हैं, तो कोई भी आपके सिस्टम से यह पता लगा सकता है कि आपने क्या सर्च किया है। इसके अलावा, यह डेटा गूगल के सर्वर में भी सेव रहता है। इसे ही कूकीज सेव करना कहते हैं। वहीं, इन्कॉग्निटो मोड इसे पूरी तरह अलग है। (फाइल फोटो)
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इन्कॉग्निटो मोड को प्राइवेसी मोड या सेफ ब्राउजिंग के तौर पर भी जाना जाता है। इसमें सर्च हिस्ट्री सेव नहीं होती और विंडो को कलोज करते ही अपने आप सारी सर्च हिस्ट्री डिलीट हो जाती है। इस मोड में जो भी एक्टिविटी की जाती है, वह नॉर्मल मोड में दिखाई नहीं पड़ती। इन्कॉग्निटो मोड के जरिए हमेशा फ्रेश सर्चिंग ही की जा सकती है। (फाइल फोटो)
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इन्कॉग्निटो मोड में अगर हम किसी साइट पर अपना अकाउंट बनाते हैं, तो अपनी सीक्रेट जानकारियों को सेव होने से बचा सकते हैं, जबकि नॉर्मल ब्राउजिंग में ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इन्कॉगग्निटो मोड का इस्तेमाल कर हम अपनी पर्सनल डेटा को चोरी होने से बचा सकते हैं। (फाइल फोटो)
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अगर कोई अपना निजी काम किसी दूसरे के कम्प्यूटर पर कर रहा है, तो इन्कॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करके अपने लॉगइन डिटेल्स को छुपा सकता है। इसके अलावा, ब्राउजर से सर्च हिस्ट्री को छुपाने के लिए भी इन्कॉग्निटो मोड का इस्तेमाल किया जाता है। (फाइल फोटो)
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इन्कॉग्निटो मोड वेब डेवलपर्स के लिए काफी काम की चीज है। इसमें ब्राउजर का कैशे क्लियर किए बिना ही सिर्फ ब्राउजर को रिफ्रेश करके ही किए गए बदलावों को जाना जा सकता है। इन्कॉग्निटो मोड में वेब डेवलपर्स के लिए काम करना ज्यादा आसान होता है। (फाइल फोटो)
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इन्कॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करने पर लॉगइन डिटेल्स, सर्च हिस्ट्री, फॉर्म डिटेल्स हिस्ट्री, कुकीज फाइल सेव नहीं होतीं। इससे कोई वेब ब्राउजिंग हिस्ट्री को ट्रैक नहीं कर सकता। इस तरह, सुरक्षा और प्राइवेसी के लिहाज से यह मोड अच्छा है। (फाइल फोटो)
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इन्कॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करते हुए लोग जहां खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, वहीं यह गूगल के लिए परेशानी का बड़ा सबब बन गया है। हाल ही में एक अमेरिकी यूजर ने गूगल पर इस बात को लेकर मुकदमा कर दिया है कि कंपनी अपने क्रोम ब्राउजर के जरिए इन्कॉग्निटो मोड में भी लोगों की एक्टिविटी को ट्रैक करती है और उनके डेटा को कलेक्ट करने की कोशिश करती है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गूगल ने अपने यूजर्स को यह जानकारी नहीं दी है कि कंपनी इन्कॉग्निटो मोड में भी यूजर्स को ट्रैक करती है। जानकारी के मुताबिक, गूगल का डेटा ट्रैकिंग का बड़ा बिजनेस है। बहरहाल, इस मामले में गूगल पर 5 बिलियन डॉलर (करीब 36 हजार करोड़ रुपए) का जुर्माना लग सकता है। (फाइल फोटो)