मिल्खा सिंह की वह कहानी, जब उनकी एक झलक पाने 10 हजार पाकिस्तानी महिलाओं ने उठाया था बुर्का
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एक टीवी इंटरव्यू में मिल्खा सिंह ने 1960 की पाकिस्तान के अब्दुल खालिक को हराने की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि खालिक एशिया का माना हुआ एथलीट था। 100 मीटर खालिक जीत गया। 400 मीटर मिल्खा सिंह जीत गया। अब 200 मीटर जीतना था।
'मेरा और अब्दुल खालिक का मुकाबला था। 400 मीटर जीतने के बाद मेरे मसल्स काफी थके हुए थे। जब 200 मीटर की रेस शुरू हुई तो फिनिस से करीब एक डेढ़ गज पहले मेरे पैर का तनाव हुआ। मेरा बैलेंस गड़बड़ा गया। फिनिश लाइन पर अब्दुल खालिक दिख रहा है। गिरने से मेरा कंधा फिनिश लाइन पर झुकता हुआ दिख रहा है।'
'मेरे और खालिक के बीच इतना करीबी मुकाबला था कि करीब एक से डेढ़ घंटा रिजल्ट डिले हो गया। जो जज बैठे थे वे जज नहीं कर पाए कि कौन विनर है। फिर मेरा नाम घोषित किया गया।'
मिल्खा सिंह ने याद करते हुए कहा कि तब स्टेडियम के अंदर करीब 60 हजार दर्शक थे। मैं स्टार्टिंग लाइन पर बैठा। खालिक शुरू में करीब 100 मीटर तक मुझसे थोड़ा सा आगे था। लेकिन लास्ट के 100 मीटर में मैंने उसे पकड़ना शुरू किया। सारा स्टेडियम गूंज उठा। कह रहे हैं- अब्दुल खालिक कमॉन।
'पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान भी वहीं मौजूद थे, उन्होंने भी कहा- अब्दुल खालिक कमॉन। स्टेडियम में 10 हजार बुर्के वाली औरते थीं। बुर्के वाली औरतों ने बुर्का उतार कर देखा कि ये मिल्खा सिंह है जिसने हमारे खालिक को हराया है।'