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गर्भवती महिलाएं बुजुर्गों की मौत से रेस: रेगिस्तान में दौड़ना पड़ रहा, न जाने कब कहां से गोली चल जाए
काबुल. अफगानिस्तान में अमेरिका और ब्रिटेन ने रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया है। ऐसे में अब वहां फंसे लोगों की उम्मीद टूटने लगी है। उन्हें लगने लगा है कि अब वे देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। ऐसे में एक पाकिस्तान और ईरान बॉर्डर के पास रेगिस्तान की कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिसमें दिख रहा है कि हजारों लोग रेगिस्तान में पैदल ही अफगानिस्तान से पाकिस्तान और ईरान की तरफ बढ़ रहे हैं। तस्वीरों में देखें कैसा है तालिबान का खौफ...
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बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं भी रेगिस्तान में पैदल चल रही हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान छोड़कर भागने वालों में बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं भी हैं। रेगिस्तान में चलना मुश्किल होता है, लेकिन वहां पर भी ये लोग भागने को बेताब हैं। इन्हें पता है कि कभी भी तालिबान इनपर गोलियां बरसा सकता है।
अफगानिस्तान का बॉर्डर पाकिस्तान और ईरान की सीमाएं से जुड़ा है। इन बॉर्डर पर ऐसी कई जगहें हैं जहां पर कैंप में शरणार्थी रहते हैं। अफगानिस्तान से भागकर लोग वहीं जाना चाहते हैं।
एक शरणार्थी ने अपनी चार घंटे की यात्रा के बारे में बताया कि वह उबड़ खाबड़ इलाके से होता हुआ आया। उसके साथ कई लोग थे जो पाकिस्तान आना चाहते हैं। कई ईरानी है जो अफगानिस्तान से निकालने में उनकी मदद कर रहे हैं।
अफगान लोगों की यात्रा सबसे कम आबादी वाले निम्रूज प्रांत से शुरू हुई। ये इलाका रेगिस्तान और पहाड़ों से ढका हुआ है।
ईरानी स्मग्लर्स अफगानियों की मदद कर रहे हैं
डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोग रात के करीब 10 बजे ईरान बॉर्डर पर पहुंचे। वहां उनसे एक कोड पूछा गया। यह कोड उन्हें उनका तस्कर (स्मग्लर्स) देता है। यहां हर ग्रुप का एक तस्कर होता है।
ईरान की तरफ बढ़ने वाले एक शरणार्थी ने बताया कि उसके साथ हजारों लोग थे। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी थे। पहाड़ों पर बच्चों के रोने की आवाज गूंज रही थी।
पड़ोसी देशों पाकिस्तान और ईरान में पिछले साल अफगानिस्तान के शरणार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा देखी। यूएनएचसीआर के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में लगभग 1.5 मिलियन पाकिस्तान भाग गए। जबकि ईरान में इनकी संख्या 780,000 की है। जर्मनी 180,000 से अधिक के साथ तीसरे स्थान पर है। तुर्की में लगभग 130,000 हैं।
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