- Home
- Fact Check News
- खून से पूरी नदी लाल हो गई और उसमें मासूमो के जूते पड़े हैं...वायरल तस्वीर का सच क्या है?
खून से पूरी नदी लाल हो गई और उसमें मासूमो के जूते पड़े हैं...वायरल तस्वीर का सच क्या है?
काबुल. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट पर दो आत्मघाती हमलों की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। खून से सने कपड़े इधर-उधर दिख रहे हैं। लेकिन इस बीच कई वीडियो और फोटो ऐसे भी हैं जो काबुल के नाम पर वायरल किए जा रहे हैं। ये वीडियो पूरी तरह से फर्जी है। आज ऐसे ही एक फोटो के बारे में बताते हैं जिसमें खून में लथपथ जूता दिखाई दे रहा है।
| Published : Aug 30 2021, 02:57 PM IST / Updated: Aug 30 2021, 02:59 PM IST
- FB
- TW
- Linkdin
)
वायरल फोटो में क्या है?
सोशल मीडिया पर खून से लथपथ जूतों की विचलित करने वाली तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीरे के साथ दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर 26 अगस्त को काबुल में हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुए विस्फोट के बाद ली गई थी।
)
इस्लामिक स्टेट खुरासान यानी ISIS-K ने दावा किया था कि उसने ही अमेरिकी सैनिकों सहित कम से कम 170 लोगों को मारा है। वायरल तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा है, काबुल में खून की नदी। काबुल में फिर से खून बह रहा है। याद रखें भगवान देख रहे हैं।
)
वायरल तस्वीर का सच क्या है?
वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पता चला कि ये फर्जी है। तस्वीर साल 2017 की है। 10 फरवरी को ली गई थी।
)
तस्वीर का सच कैसे पता चला?
वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए एशियानेट न्यूज ने गूगल के रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। इसके बाद हमें कई लिंक मिले। एक लिंक otaghkhabar24.com नाम की वेबसाइट का मिला। यहां पर भी इस वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। रिपोर्ट के साथ तीन और तस्वीरें पोस्ट की गई थीं।
)
कैप्शन में लिखा था कि ये तस्वीरें तब ली गई थीं जब प्रदर्शनकारियों ने अफगान नागरिकों के बड़े पैमाने पर हत्या के बाद सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने काबुल नदी के एक हिस्से को लाल करने के लिए डाई का इस्तेमाल किया था। यानी यह एक सांकेतिक फोटो है।
)
गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर एक और लिंक मिला। जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन 10 फरवरी 2017 को किया गया था। तब संयुक्त राष्ट्र ने दावा किया था कि 2016 में गृह युद्ध में 11400 अफगान नागरिक मारे गए। तब प्रदर्शनकारियों ने काबुल नदी के एक हिस्से को लाल करने के लिए 200 किलो पेंट का इस्तेमाल किया।
)
निष्कर्ष
वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पता चला कि ये तस्वीर का कनेक्शन अफगानिस्तान से ही है। लेकिन ये काबुल ब्लास्ट के बाद की नहीं है। दरअसल, इस तस्वीर को साल 2017 में एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के दौरान लिया गया था। इसके लिए आर्टिफिशियल रंग का इस्तेमाल कर पानी को लाल किया गया। इसके बाद तस्वीर ली गई थी।
ये भी पढ़ें
2- 2 साल के बच्चे को गर्म कार में 3 घंटे तक लॉक किया, दाई ने बच्चे को ऐसे मौत दी कि हर कोई चौंक गया
3- यहां म्यूजिक, टीवी, रेडियो पर किसी महिला की आवाज नहीं आनी चाहिए, नहीं तो मौत तक की सजा मिलेगी