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क्या कोरोना का रामबाण इलाज है 'रेमेडिसविर' इंजेक्शन? भारत में इसकी शॉर्टेज क्यों हुई, जानें सबकुछ
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Remdesivir की कमी का क्या कारण है?
COVID-19 मामलों में हालिया स्पाइक और अस्पताल में भर्ती होने से दवा की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। इस दवा का इस्तेमाल गंभीर संक्रमित मरीजों के लिए किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, 11 अप्रैल तक भारत में 11.08 लाख से अधिक एक्टिव केस आए और ये लगातार बढ़ रहे हैं। इसके कारण COVID रोगियों के उपचार में इस्तेमाल होने वाले रेमेडिसविर इंजेक्शन की मांग में अचानक उछाल आया है। आगे कहा गया कि आने वाले दिनों में इसकी और भी मांग बढ़ने वाली है।
इसके अलावा कई राज्यों में कालाबाजारी भी एक बड़ी वजह है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में भारत के विभिन्न शहरों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस दवा की कीमत से 10 गुना ज्यादा दाम पर बेचा गया है। एक दवा को तो 50 हजार रुपए तक बेचे जाने की खबर मिली है। यही भी शिकायत मिली कि कुछ मेडिकल शॉप्स खरीदारों से कह रहे हैं कि दवा की शॉर्टेज है लेकिन अगर वे ज्यादा दाम देने के लिए तैयार हैं तो उन्हें दवा दी जा सकती है।
10 गुना से ज्यादा कीमत पर बेची गई दवा
इसके अलावा अस्पताल के कर्मचारियों और मेडिकल शॉप के मालिकों सहित कई लोगों को MRP से ज्यादा कीमत पर बेचने के लिए गिरफ्तार भी किया गया है। महाराष्ट्र में अलग-अलग अस्पतालों के दो कर्मचारियों को 5,000 रुपए से 10,000 रुपए प्रति शीशी की दर से दवा बेचने की कोशिश के लिए गिरफ्तार किया गया था। मध्य प्रदेश में एक मेडिकल स्टोर को भी 18,000 रुपए प्रति शीशी के इंजेक्शन बेचने के लिए सील कर दिया गया।
सरकार इसे रोकने के लिए क्या कर रही है?
रेमेडिसविर दवा के निर्यात को रोकने के लिए अलावा सरकार ने ड्रग्स इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों को स्टॉक को सत्यापित करने, खराबी की जांच करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। फार्मास्युटिकल विभाग ने दवा की मांग को पूरा करने के लिए दवा के उत्पादन में तेजी लाने के लिए घरेलू निर्माताओं से संपर्क किया है। COVID-19 के कारण भारत के सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में सरकार ने रेमेडिसविर दवा की आपूर्ति सुनिश्चित करने और दवा की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष बनाया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7 भारतीय कंपनियां इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं। इनमें सिप्ला, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज, हेटेरो लैब्स, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज, माइलान, सिंजेन और जेडस कैडिला हैं।
COVID-19 के खिलाफ रेमेडिसविर दवा कितना प्रभावी है?
भारत ने COVID-19 के लिए नेशनल क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के तहत रेमेडिसविर दवा को मंजूरी दी है। डब्ल्यूएचओ ने नवंबर 2020 में एंटी-वायरल दवा रेमेडिसविर के उपयोग के खिलाफ सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में कोई सबूत नहीं है कि रेमेडिसविर दवा इन रोगियों में जीवित रहने और अन्य परिणामों में सुधार करता है। हालांकि दवा से लाभ पाया गया है। अमेरिका में रेमेडिसविर दवा का कोरोना मरीजों पर अच्छा रिजल्ट दिखा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जिन मरीजों को रेमेडिसविर दवा दी गई, उन्हें औसत 11 दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई। यानी कोरोना के मरीज 4 दिन पहले ही ठीक हो गए।