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'मेरी मौत हुई तो लाश पुलिस को दे देना' कोरोना में बुजुर्ग की मदद करने वाले पुलिसवाले की कहानी भावुक कर देगी
कोरोना में अनजान लोग किस तरह से मदद के लिए आगे आ रहे हैं उसका एक उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला। यहां एक बुजुर्ग को कोरोना की वजह से उसके परिजनों ने ही छोड़ दिया। तब दिल्ली पुलिस ने मदद की। एक कॉन्स्टेबल ने बुजुर्ग की जान बचाने के लिए उन्हें किसी तरह से बाहर निकाला और हॉस्पिटल ले गया।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला रविवार का है। पुराने राजेंद्र नगर में एक बुजुर्ग शख्स की बेटी ने पीसीआर पर फोन कर बताया कि उसके पिता की तबीयत खराब है। शायद उन्हें कोरोना हुआ है।
'कोरोना की वजह से पिता के पास नहीं जाना चाहती'
बेटी ने फोन कर बताया कि शायद उनके पिता को कोरोना हुआ है इसलिए वह पास नहीं जा रही है। खबर मिलते ही राजेंद्र नगर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल राजू राम पते पर पहुंचे। वहां घर पर लगे पोस्टर को देखकर हैरान रह गए।
(फोटो- दिल्ली में कोरोना के बाद तैनात पुलिस)
पोस्टर में 80 साल के मुरलीधर ने लिखा था, अगर उनकी मौत हो जाए तो लाश पुलिस के हवाले कर दी जाए। पुलिसकर्मी ने पड़ताल की तो पता चला कि बुजुर्ग व्यक्ति सीआईडी ऑफिसर रह चुके हैं। उनकी तीन बेटियां हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। दो बेटियां दिल्ली में और एक बाहर रहती है। कालकाजी में रहने वाली उनकी बेटी को पुलिस को खबर दी थी।
(फोटो- दिल्ली में कोरोना के दौरान ATM के बाहर बैठा व्यक्ति)
मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी ने बुजुर्ग को घर से निकालकर हॉस्पिटल भेजा। बुजुर्ग के लिए एंबुलेंस बुलाई गई। आरएमएल हॉस्पिटल ले जाने के बाद कॉन्स्टेबल ने बुजुर्ग को खाना और दूध पिलाने की भी कोशिश की। लेकिन उन्होंने कुछ भी खाने से मना कर दिया।
(फोटो- दिल्ली में कोरोना के दौरान सुनसान सड़कें)
डॉक्टर्स ने बुजुर्ग को जांच की। पता चला कि बुजुर्ग के सीने में काफी ज्यादा इन्फेक्शन हो गया था। ऑक्सीजन लेवल भी कम पाया गया। बाद में पुलिसवाले ने उनकी बेटी को फोन करके खबर किया की उनके पिता को हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया है।
(फोटो- दिल्ली में कोरोना के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सर्कल बनाता व्यक्ति)
राजस्थान के सीकर के रहने वाले हैं कॉन्स्टेबल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस की मदद करने वाला कॉन्स्टेबल राजस्थान के सीकर का रहने वाला है। वह राजेंद्र नगर थाने में बनी बैरक में रहते हैं। उनकी पत्नी और बच्चे गांव में ही रहते हैं।