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Hamer Tribes: जो लड़की जितनी 'मर्दानगी' झेलती है, उसे उतना यंग पार्टनर मिलता है, 2 बच्चे होने तक चलता है ये

ट्रेंडिंग न्यूज. पूरी दुनिया में करीब 100 से अधिक ऐसी जनजातियां पाई जाती हैं, जिनका बाहरी लोगों से कोई मतलब नहीं होता। ये असंबद्ध यानी किसी के भी संपर्क में नहीं रहने वाले समुदाय या स्वदेशी लोगों(Uncontacted peoples-indigenous peoples) के समूह हैं, जो अपने ही पड़ोसी समुदायों(neighbouring communities) और विश्व समुदाय के साथ निरंतर संपर्क के बिना पूरी जिंदगी गुजार देते हैं। आपने आइसोलेशन शब्द कोरोनाकाल में अधिक सुना होगा, लेकिन ये लोग सदियों से ऐसा जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं। मतलब स्वैच्छिक अलगाव(voluntary isolation) में रहते हैं। ऐसी अनकॉन्टेक्ड ट्राइब्स की संख्या का सटीक अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यूनाइटेड नेशन में ह्यूमन राइट्स पर काम करने वाले इंटर-अमेरिकन कमिशन और एक NGO ग्रुप सर्वाइवल इंटरनेशनल(Survival International) का अनुमान है कि दुनिया में 100 और 200 जनजातियों का पता चलता है। इनकी आबादी बमुश्किल 10,000 के आसपास होगी। ऐसी अधिकांश जनजातियां दक्षिण अमेरिका(विशेष रूप से ब्राज़ील) में रहती हैं। ब्राज़ील सरकार और नेशनल ज्योग्राफिक का अनुमान है कि 77 से 84 के बीच ऐसी जनजातियां यहां पाई जाती हैं। अफ्रीका-भारत, इंडोनेशिया आदि में भी ऐसी कुछ जनजातियां हैं। इनकी जीवनशैली, खान-पान और परंपराएं बाकी दुनिया के लिए किसी हैरत से कम नहीं हैं। ऐसी ही एक जनजाति हमर(Hamer or Hamar) है। पढ़ते हैं इससे जुड़े दिलचस्प रिवाज..

3 Min read
Amitabh Budholiya
Published : Sep 30 2022, 11:55 AM IST| Updated : Sep 30 2022, 12:34 PM IST
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अफ्रीका में कई ऐसी जनजातियां हैं, जिनकी परंपराएं(traditions) लोगों को हैरान कर देती हैं। इन्हीं में से हमर जनजाति में युवा अपनी मर्दानगी( prove manhood) साबित करने के लिए सबसे जहरीली चींटी(most poisonous ant) से खुद को कटवाते हैं। कहीं-कहीं परंपरा के नाम पर उंगलियां काट दी जाती हैं। ऐसी खतरनाक परंपरा को उकुली तुला(called Ukuli Tula) कहा जाता है। इस परंपरा के आधार पर जो लड़के यह मानते हैं कि वे शादी के लिए तैयार हैं, उन्हें इसका प्रमाण अवश्य देना पड़ता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस परंपरा में अपने मनपसंद युवक से लड़कियां खुद को कोड़ से पिटवाती हैं।

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हमर जनजाति से जुड़े लोगों के लिए बुल जंपिंग फेस्टिवल यानी उकुली तुला( Bull Jumping Festival Ukuli Tula) एक पवित्र परंपरा है। इसकी शुरुआत महिलाओं के डांस से होती है। इसमें 15 गायों या बैलों को एक साथ खड़ा किया जाता है। कोई भी लड़का जो खुद को शादी के योग्य समझता है, उसे इन जानवरों के ऊपर से कूदकर उस पार निकलना पड़ता है। 

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बुल जंपिंग फेस्टिवल में अगर कोई लड़का इन जानवरों के सामने नहीं आता है, तो वहां मौजूद महिलाओं ने उसकी पिटाई करवाई जाती है। इतना ही नहीं लड़के के घर की महिलाओं को भी तब तक पीटा जाता है, जब तक खून नहीं निकल जाता। हालांकि जो लड़का कूदते हुए इन जानवरों को पार कर जाता है, वह अपनी पसंद की लड़की से शादी कर लेता है।
 

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उकुली तुला परंपरा में 'माजा-Maja' नाम के एक ग्रुप की खासी भूमिका होती है। यह ग्रुप शादी के लिए बुलाई गई लड़कियों की पिटाई करता है। पिटाई के दौरान लड़कियां अपने शरीर को पंख, हार और कंगन से सजाती हैं। यह ग्रुप समारोह में मौजूद सभी लड़कियों और महिलाओं को लाठियों और चाबुकों से पीटता है। इन सबके बीच अगर कोई लड़की या महिला पिटाई से बच जाती है, तो वह खुद सामने आती है और कोड़े मारने के लिए गिड़गिड़ाती है। इस बीच अत्यधिक पिटाई के कारण दर्द से कराहना या भागना भी मना है।

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ऐसा माना जाता है कि कोड़े से पीटने से स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम बढ़ता है। इसके अलावा, जो महिला सबसे अधिक पिटाई सहन करती है, वह सबसे कम उम्र के पुरुष से शादी करती है। विधवा महिलाएं भी इस परंपरा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं और नए जीवन साथी की तलाश करती हैं।

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हमरजनजाति में महिलाओं को न केवल शादी के दौरान परंपरा के नाम पर पीटा जाता है, बल्कि यह क्रूरता उनके साथ सालों-साल तक चलती है। हालांकि, दो बच्चे होने के बाद उन्हें राहत मिल जाती है। 

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जनजाति के नियमों के अनुसार, पुरुषों को पिटाई का कारण बताने की भी आवश्यकता नहीं है। वे जब तक चाहें महिलाओं को पीट सकते हैं। महिलाओं की पीठ पर पिटाई हुए दागों को गर्व से सुंदरता के रूप में पेश किया जाता है। इन्हीं सब कारणों से हैमर या हमर जनजाति की महिलाएं काफी मजबूत होती हैं। हालांकि उनकी एक शादी होती है, लेकिन इस जनजाति के पुरुष दूसरी शादी भी कर सकते हैं।

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About the Author

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Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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