जिसे कूड़ा समझकर लोगों ने फेंक दिया, उसी को बटोरकर ये व्यक्ति बना बिजनेसमैन, लाखों कमा रहा
भुवनेश्वर. बिजनेस करने के लिए पैसा नहीं बल्कि यूनिक आइडिया की जरूरत होती है। इस बात को 41 साल के एक व्यक्ति ने सही साबित कर दिया। नारियल के जिस गोले को कचरा समझकर लोग फेंक देते हैं, उसे ही बटोरकर 41 साल का एक व्यक्ति पैसे कमा रहा है। हम बात कर रहे हैं देवी प्रसाद दास की। उनका काम शुरू होता है नारियल के गोलों को बटोरना। इसके बाद उन गोलो को बटोकर वे उसे साफ कर अपने इस्तेमाल में लाते हैं। नारियल के गोले से कई घरेलू सजावट के सामान बनाते हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा, हर दिन मैं ओडिशा में मंदिर से नारियल के गोले इकट्ठा करता हूं। फिर उनका इस्तेमाल सजावटी और उपयोगी वस्तुओं को बनाने में करता हूं। कैसे शुरू किया बिजनेस, कितने तक का सामान बना लेते हैं...
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साल 2011 में की थी शुरुआत
देवी प्रसाद ने साल 2011 में फेंके गए नारियल के गोले से उपयोगी सामान बनाने की शुरुआत की। उन्होंने घर में इस्तेमाल होने वाले सामान बनाए और स्थानीय लोगों के बेचने के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपने बनाए प्रोडक्ट को बेचना शुरू किया।
उन्होंने कहा कि मैंने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए रजिस्ट्रेशन किया है। इसके जरिए मुझे एग्जीबीशन में स्टॉल लगाने का भी मौका मिलता है।
5000 से लेकर 5 लाख तक के प्रोडक्ट
उन्होंने कहा, मैंने सभी इस्तेमाल किए गए खराब नारियल के गोले को इकट्ठा करने का फैसला किया। इसके बाद उनसे यूनिक ज्वैलरी, घरेलू सजावटी सामान और अन्य जानवरों को बनाना शुरू किया। मैं मोर सहित कई जंगली जानवरों और ज्वैलरी को पेंट करने के लिए अलग से ट्रेनिंग ली। मेरे पास नारियल के गोले से बनाए हुए 5,000 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक के प्रोडक्ट हैं।
ट्रेनिंग के लिए दूसरे राज्यों से आते हैं लोग
देवी प्रसाद ने बताया, वे सिर्फ खुद से सामान बनाकर बेचते ही नहीं हैं बल्कि अब वे एक टीचर की भूमिका भी निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं स्थानीय लोगों सहित दूसरे राज्यों के लोगों को ट्रेनिंग भी देता हूं। मैंने भुवनेश्वर में अपने घर में ही एक ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया है, जहां लोगों को MSME को लेकर ट्रेनिंग देता हूं।
MSME का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम ग्रुप का बिजनेस करने से है। ये देश के जीडीपी में लगभग 29% का योगदान करते हैं। MSME सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है।