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2 सीख से कोरोना को हरायाः देश में कोरोना का डर, लेकिन पुणे के 229 गांवों में एक भी केस नहीं
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"कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करते हैं"
आयुष प्रसाद ने बताया, इन गांवों में ऐसे लोग हैं जो बिजनेस और दूसरे काम के लिए शहरों में जाते हैं, लेकिन इस दौरान वे पूरी सावधानी बरतते हैं। यहां लोगों को मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना भरना होता है। लोग दंडित भी किए जाते हैं। इसके अलावा अगर कोई भी किसी काम से शहर जाता है तो वापस लौटने पर क्वारंटीन होता है।
25 हजार रुपए का बॉन्ड भी भरवाया जाएगा
इसके अलावा पुणे में कोविड -19 मरीजों से एक बॉन्ड से भरवाया जाएगा। जो मरीज होम क्वारंटाइन का विकल्प चुनते हैं, उन्हें एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना पड़ेगा, जिसके मुताबिक, अगर कोई मरीज होम क्वारंटीन के दौरान घर से बाहर निकलता है या फिर आइसोलेशन के नियम तोड़ता है तो उसे 25,000 रुपए जुर्माना देना होगा।
एडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर रूबल अग्रवाल ने कहा कि कुछ दिनों में ही ये नियम लागू किया जाएगा। पीएमसी कर्मचारी कोविड -19 रोगियों के घरों का औचक दौरा करेंगे और नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो डिफॉल्टरों को 25,000 रुपए का भुगतान करना होगा। लीगल एक्सपर्ट और एक्टिविस्ट इस कदम की निंदा कर रहे हैं। एक एक्सपर्ट ने तो इस कदम को तर्कहीन बताया।
229 गांवों की आबादी 6 से 7 लाख लोगों की है
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुणे जिले के अंतर्गत आने वाले 1,405 गांवों में से 52 लाख ग्रामीण हैं, जिनमें से इन 229 गांवों की आबादी 6-7 लाख है। इन 229 गांवों में एक भी केस नहीं है। SARI और ILI रोगियों का पता लगाने के लिए गांव के लोगों ने सफलतापूर्वक अभियान चलाया और मास्क नहीं पहनने के लिए लोगों को दंडित भी किया। जबकि पुणे जिला देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है, जहां सक्रिय और दैनिक केस ज्यादा आ रहे हैं।