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भूटान: सिर्फ 7 दिन में देश की आधा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लगी, क्या है इतनी तेज वैक्सीनेशन का फॉर्मूला?
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पहला फॉर्मूला- डेसुप्स
भूटान छोटा देश है, लेकिन यहां वैक्सीन लगाने में सफलता यहां के नागरिकों के जरिए मिली है, जिन्हें "डेसुप्स" के रूप में जाना जाता है। डेसुप्स यानी वे वॉलंटियर्स जो भूटान में स्वास्थ्य सुरक्षा योजना विभाग से जुड़े हैं। ये वहां के स्थानीय नागरिक होते हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं में सरकार की मदद करते हैं। कोरोना से पहले भूटान में सिर्फ 37 डॉक्टर और 3000 फुलटाइम स्वास्थ्यकर्मी थे। गासा जिले के उत्तर-पश्चिमी में जहां लगभग 3,000 भूटानी पहाड़ी गांवों में रहते हैं वहां चार डॉक्टर्स की टीम के साथ डेसुप्स के 6 मेंबर लगे हुए थे। ये सभी स्कूल टीचर हैं। ये सभी 6 टीचर्स उन्हीं इलाकों से थे, जिससे स्थानीय लोगों के पास जाने में मदद मिली।
दूसरा फॉर्मूला- हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल
भूटान के स्वास्थ्य मंत्री डाशो डेचेन ने बताया, कई इलाकों में जहां बर्फ जमी रहती है वहां पहुंचना मुश्किल था। ऐसी जगहों पर हेलीकॉप्टर से वैक्सीन भेजी गई। ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि बर्फ वाली या पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए 4 से 5 दिन का समय आसानी से लग जाता है। ऐसे में हेलीकॉप्टर्स की मदद से वैक्सीन जल्दी पहुंचाई जा सकी।
तीसरा फॉर्मूला- केल्ड चेन का फायदा
इसके अलावा भूटान को वैक्सीनेशन में अपनी अच्छी कोल्ड चेन से भी फायदा हुआ। अब तक भूटान से कुल 886 कोरोना मामले आए हैं और सिर्फ 1 व्यक्ति की मौत हुई है।
चौथा फॉर्मूला- वैक्सीन डिप्लोमेसी
भारत दुनिया में वैक्सीन के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। भारत ने भी भूटान की बहुत मदद की है। भारत ने भूटान को वैक्सीन की 600,000 मुफ्त खुराक दी है। चीन ने भी वैक्सीन पहुंचाकर कई देशों से अपने संबंध सुधारे हैं। दोनों देशों के बीच भूटान ने दोनों देशों की वैक्सीन डिप्लोमेसी का पूरा फायदा उठाया है।
भूटान में मार्च 2020 में मिला था पहला केस
जब भूटान में मार्च 2020 में एक अमेरिकी पर्यटक में कोविड होने की पुष्टि हुई तो इस देश ने सीमाएं तुरंत बंद कर दी गईं। विदेश से लौटने वाले नागरिकों को क्वारंटीन करना अनिवार्य कर दिया। भूटान के पूर्व राजदूत ने कहा, पहले दिन से हमने कोरोना को गंभीरता से लिया। हम लोगों के स्वास्थ्य को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं।