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तकदीर: इन बच्चों के नसीब में है गुलामी, आज भी करनी पड़ती है मजदूरी, बाल श्रम की ये तस्वीरें देख कांप उठेगी रूह

नई दिल्ली। World Child Labour Day 2022: बाल श्रम आज भी जारी है। जानकारों का कहना है कि यह न खत्म हुआ है और न कभी होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज भी दुनियाभर में करीब साढ़े तीन करोड़ बच्चे बाल श्रम करने को अभिशप्त हैं। ये गुलामी इनकी तकदीर में है। इनके नसीब में है और इससे इन्हें कोई बचा नहीं सकता। आज बाल श्रम दिवस है। कहने को तमाम कानून बने हैं, मगर आइए तस्वीरों के जरिए इसकी हकीकत देखें और जानें। 

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Asianet News Hindi
Published : Jun 12 2022, 07:04 AM IST
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बाल श्रम कानून लेकर तमाम सरकारें और संगठन गंभीर हैं, बावजूद इसके बच्चों से श्रम कराना हर देश में आज भी बदस्तूर जारी है। 

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कानून बने होने के बाद भी बहुत से बच्चे उद्योगों-कारखानों में, दुकानों पर, ढाबों में और घरेलू सहायकों के तौर पर काम करने को अभिशप्त हैं। 

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कुछ बच्चों से तो बेहद खतरनाक किस्म के काम कराए जा रहे हैं। बच्चे या तो डर में या फिर मजबूरी की वजह से ये सब कर रहे हैं, मगर कुछ कह नहीं पाते। 

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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, कई जगह तो बच्चों से गुलामी जैसा व्यवहार हो रहा है। उन्हें बंधुआ मजूदरों की तरह इस्तेमाल किया जाता है। 

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संगठन का दावा है कि ऐसी भी जगहें हैं जहां बच्चों को काम के बदले दाम भी नहीं दिया जा रहा है। ये बच्चे सिर्फ दो वक्त की आधे पेट रोटी के लिए झेलने को मजबूर हैं। 

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यही नहीं बच्चों से हिंसक व्यवहार होता है। उनसे यौन हिंसा भी की जाती है। इसमें लड़कियां और लड़के दोनों शामिल हैं, मगर लड़कियों की संख्या अधिक है। 

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हालांकि, बाल श्रम के ज्यादातर माामले अब घरेलू सहायकों की तरह हैं। उनसे चोरी-छिपे घर में काम लिया जाता है, इसलिए बहुत से मामले सामने नहीं आ पाते। 

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बच्चों को रोज सुबह से शाम तक कठिन कराया जाता है। कपड़े भी नहीं देते और खाने को आधा पेट भोजन। इसके बाद तरह-तरह के इल्जाम लगाकर उनके साथ हिंसा होती है। 

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काम कराने वाले बच्चे से काम तो पूरा ले रहे, मगर कई बार उसे श्रम के बदले में आधा दाम या फिर कई बार कुछ भी नहीं दिया जाता है। कहा जाता है- वह तो परिवार की तरह है। खाना और कपड़ा तो दे ही रहे हैं। 

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बच्चे की शिक्षा, खेलकूद और विकास से जुड़ी  बातों को अनदेखा किया जा रहा। काम के जरिए उसकी बहुत सी इच्छाओं का गला घोंटा जा रहा है। 

 

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बच्चों की शिक्षा नहीं होने से यह बात तो पहले ही तय हो जाती है कि वह भविष्य में भी मजदूरी ही करेगा और उसका जीवन अंगूठा टेक रहेगा। 

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घरेलू सहायकों की तरह काम लिए जाने के दौरान उससे काम लिए जाने के दौरान पारिवारिक सदस्य तो जरूर बताया जाता है, मगर उसके साथ बर्ताव ऐसा बिल्कुल नहीं होता। 

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बाल श्रम रोकने की दिशा में तमाम संगठन काम तो कर रहे हैं, मगर जमीनी स्तर पर उनका प्रयास कहीं नहीं दिखता। ऐसे में उनके काम को लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं।
 

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बाल श्रम खत्म करने के लिए काम कर रहे बहुत से संगठन तो ब्लैकमेलिंग का और पैसा कमाने का जरिया बन गए हैं। वे सिर्फ ऐसे केस खोजते हैं, जहां से मोटी कमाई हो सके।

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सरकारें भी बाल श्रम रोकने और इसे जड़ से खत्म करने की दिशा में ऐसा कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिख रहीं, क्योंकि कई बार तो बीच सड़क पर खुलेआम बालश्रम दिख जाता है, मगर नेताजी या फिर अफसर महोदय वहां से खुली आंखों के साथ गुजर जाते हैं। 

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एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

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