2 बच्चों के पिता हैं KBC के पहले 'करोड़पति', विनर बनने के 19 साल बाद ऐसी है लाइफ
| Published : Aug 19 2019, 05:25 PM IST / Updated: Aug 19 2019, 05:43 PM IST
2 बच्चों के पिता हैं KBC के पहले 'करोड़पति', विनर बनने के 19 साल बाद ऐसी है लाइफ
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महिंद्रा एंड महिंद्रा में जॉब... हर्षवर्धन अभी महिंद्रा एंड महिंद्रा में (CSR & एथिक्स) डिपार्टमेंट में हेड हैं। उन्होंने KBC की चमक से निकलने के बाद ही करियर के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। वह इस कंपनी से साल 2005 से जुड़े हैं। हालांकि, केबीसी में करोड़पति बनने के बाद उन्होंने सबसे पहले IL&FS में नौकरी शुरू की। इसके बाद वह नंदी फाउंडेशन में डायरेक्टर बने और फिर नंदी कम्युनिटी वाटर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर रहे।
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ऐसे खर्च हुए थे हर्षवर्धन के 1 करोड़ रुपए... हर्षवर्धन के मुताबिक, मुझे 1 करोड़ रुपए का चेक मिला। मैंने सारे पैसे, सेविंग अकाउंट में जमा करा दिए। इस पर टैक्स भी लगा। इस तरह, कुल 30 लाख रुपए का टैक्स भरना पड़ा। हर्षवर्धन के मुताबिक, सबसे पहले मैंने मारुति एस्टीम वीएक्स खरीदी, जो उस वक्त 6 लाख रुपए की थी। इसके बाद पढ़ाई में पैसे लगाए। पहले सिंबॉयसिस पुणे में फीस दी जहां MBA करने गया था। फिर यूके में पढ़ाई की, तो वहां की फीस भी दी।
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करोड़पति बनने के बाद कैदी बनकर रहे थे हर्षवर्धन... केबीसी में करोड़पति बनने के बाद हर्षवर्धन को नाम बदल कर एक होटल में रखा गया था। यहां वो पूरे 10 दिन तक रहे। हर्षवर्धन बताते हैं, ‘मुझे बिल्कुल रॉकस्टार जैसी फीलिंग आ रही थी। 24 घंटे सिक्युरिटी। लेकिन बहुत बोरिंग था वो समय। मैं बाहर लोगों के साथ सेलिब्रेट करना चाहता था, लेकिन न चाहकर भी उस होटल में बंद था।
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जब हर्षवर्धन को मिला नया नाम... हर्षवर्धन के मुताबिक, उन दस दिनों के लिए मेरा नाम था, तरुण प्रभाकर। वैसे ये तरुण प्रभाकर, केबीसी के सिद्धार्थ बसु के सहयोगी का नाम था। दरअसल, हर्षवर्धन के करोड़पति बनने वाले एपिसोड की शूटिंग प्रसारण से पहले पूरी हो चुकी थी और इसका खुलासा प्रसारण से पहले न हो जाए, आयोजक ने इस आशंका के चलते मुझे होटल में रखा था।
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2007 में हर्षवर्धन ने की शादी... हर्षवर्धन नवाथे की शादी साल 2007 में सारिका नीलत्कर से हुई। सारिका मराठी नाटकों, टीवी और फिल्मों में एक्टिंग करती हैं। इसके बाद उनकी जिंदगी में स्थायित्व आ गया। नवाथे, आजकल अपने परिवार के साथ काम में मशगूल हैं।
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पॉलिटिक्स में आना चाहते हैं हर्षवर्धन... नवाथे को पॉलिटिक्स फील्ड पसंद है। हर्षवर्धन के मुताबिक, राजनीति में जाने से पहले समझ होना जरूरी है। साल 1992 की बात रही होगी, जब मुंबई में स्कूलों में होने वाले इलेक्शन पर बैन लग गया। लेकिन मेरे दोस्त हैं, जो राजनीति में हैं उनके साथ मैं हमेशा रहा। ये एक गंभीर विषय है। वह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि मैं राजनीति में आऊंगा जरूर।
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बच्चों के साथ हर्षवर्धन नवाथे।