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बॉलीवुड का वह स्टार, जिसकी जकड़ में आकर रो पड़ा था 200 किलो का पहलवान, मांगने लगा था रहम की भीख
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बताया जाता है कि रिंग में जब दारा सिंह ने किंग कॉन्ग को धुल चटाई तो वहां मौजूद हजारों लोगों ने तालियां और सीटियां बजाकर उनका स्वागत किया था। दर्शकों में उस वक्त के सोवियत यूनियन संघ के प्रमुख निकोलाई बुल्गन भी मौजूद थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी यह फाइट देखने वाले थे, लेकिन वे जा नहीं सके।
एक रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी सूरजमल दहिया के हवाले से लिखा है, "दारा सिंह ने किंग कॉन्ग को चारों ओर घुमाया। वह असहाय होकर चिल्लाने लगा। उसने रोकर रेफरी से फाइट रोकने का आग्रह करने लगा।" बताया जाता है कि यह फाइट दिल्ली से लगभग 40 किमी. दूर भटगांव में हुई थी और मुश्किल से 12-15 मिनट तक चली थी, जो अखाड़ा रेसलिंग के मुकाबले काफी छोटा समय था।
किंग कॉन्ग को हराने के बाद दारा सिंह इसी गांव में शाम तक रुके थे और एक बाल्टी दूध पी गए थे, जिसमें कम से कम 12-13 लीटर दूध था। कहा जाता है कि जिस दिन दारा सिंह ने किंग कॉन्ग को हराया, उस दिन भटगांव को बिजली मिली थी और सरकार ने इसे आदर्श ग्राम घोषित कर दिया था।
दारा सिंह का एक और किस्सा उनके पॉपुलर किरदार हनुमान से जुड़ा हुआ है। रामानंद सागर के पॉपुलर सीरियल 'रामायण' ने जिस तरह लोगों के बीच अरुण गोविल को भगवान राम और दीपिका चिखलिया ने माता सीता के रूप में पहचान प्रसिद्ध कर दिया था। उसी तरह दारा सिंह को भी लोग हनुमान जी मानने लगे थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दारा सिंह यह रोल करना नहीं चाहते थे। यहां तक कि उन्होंने रामानंद सागर को इसके लिए इनकार भी कर दिया था।
दारा सिंह की बायोग्राफी 'दीदारा अका दारा सिंह' के अनुसार, जब रामानंद सागर ने दारा सिंह को हनुमान की भूमिका के लिए कॉल किया तो उन्होंने उन्हें सलाह दी थी कि किसी युवा एक्टर को यह रोल करना चाहिए। रामानंद सागर नने दारा सिंह को कॉल कर कहा, "दारा आप मेरे टीवी सीरियल में हनुमान की भूमिका निभा रहे हैं।" जवाब में दारा ने कहा था, "सागर साब, मैं लगभग 60 साल का हूं। किसी युवा को कास्ट कर लीजिए।" इस पर सागर ने कहा, "आप हनुमान बन रहे हो। आप सबसे बेहतर हो।"
बाद में न केवल दारा सिंह इस रोल के लिए मानें, बल्कि इसे कुछ तरह से निभाया कि लोगों के दिलों पर अपनी कभी न मिटने वाली छाप छोड़ दी। बताया जाता है कि लोगों ने घरों में हनुमान के रूप में ऊनकी तस्वीर लगानी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं, उमरगांव के एक मंदिर में दारा सिंह की प्रतिमा भी रखी गई थी।
दारा सिंह को 7 जुलाई 2012 को हार्ट अटैक आया था, जिसके चलते उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में यह सामने आया था कि रक्त प्रवाह में कमी के चलते उनके दिमाग में क्षति हुई थी। 11 जुलाई को दारा सिंह को अस्पताल से यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया गया कि उनकी जिंदगी बचाने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता। अगले दिन यानी 12 जुलाई को मुंबई स्थित अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली।
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