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फिरौती की रकम लेने के बाद था संजीत को मारने का इरादा, लेकिन फिर हुआ कुछ ऐसा कि पहले ही मार डाला
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अपहर्ताओं ने पुलिस को बताया कि 26 जून की रात संजीत ने भागने का प्रयास किया। उसने धमकी भी दी कि जब वो छूटेगा तो पुलिस को पूरा कांड बता देगा। फंसने के डर से बदमाशों ने उसी दिन गला घोंटकर संजीत को मार दिया। शव प्लास्टिक की बोरी में भरा और तड़के कार से शव को पांडु नदी में ले जाकर फेंक दिया। पुलिस ने पांचों आरोपियों को जेल भेज दिया है। गिरफ्तार प्रीति की मां सिम्मी की तलाश जारी है।
आईजी मोहित अग्रवाल के मुताबिक धनवंतरि अस्पताल में संजीत यादव लैब टेक्नीशियन था। वहां पर पहले दबौली निवासी ईशू उर्फ ज्ञानेंद्र यादव और कुलदीप भी काम करते थे। छह महीने पहले इन दोनों ने नौकरी छोड़ दी थी। कुलदीप स्वरूपनगर में डॉक्टर एसके कटियार के यहां सैंपल कलेक्शन का काम करने लगा था और ईशू हैलट में संविदा पर काम करता था। ईशू ने कुलदीप के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची। इसमें कुलदीप ने इसमें अपने साथी रामजी, नीलू सिंह और प्रीति को शामिल किया।
एसएसपी ने बताया कि ईशू और प्रीति पति-पत्नी बनकर ब्रोकर रविंद्र कुमार तिवारी से मिले थे। उसी ने 15 जून को रतनलाल नगर में 15 हजार रुपये प्रति किराये पर मकान दिलाया था। मकान मालिक को ईशू ने बताया था कि वो बाहर का रहने वाला है। यहां हैलट में काम करता है।
पुलिस के मुताबिक संजीत का अपहरण करने के बाद अपहर्ता समझ नहीं पा रहे थे कि फिरौती कैसे मांगे। इधर संजीत को वो कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। इसलिए उसको नशे के इंजेक्शन देकर बेहोश कर रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पहले ये इरादा था कि पैसे लेने के बाद संजीत को मार देंगे। मगर वो भागने का प्रयास करने लगा। इसलिए उसे उसी रात मार दिया। यही वजह है कि जब परिजन फोन पर उससे बोल रहे थे कि संजीत से बात करवा दो तो वो बात नहीं करवा रहे थे।
जिस रात संजीत ने भागने का प्रयास किया था, उस रात बदमाशों ने उसको सेब काटकर खाने को दिया था। चाकू वहीं पर छोड़ दिया। तब संजीत ने हाथ पर बंधी रस्सी को काटने के प्रयास में अपनी नस काट ली थी। जब वो परेशान हुआ तो दीवार पर सिर मारने लगा जिससे उसका सिर फट गया था। चूंकि उसको इलाज की जरूरत थी पर, उसको अस्पताल वो ले नहीं जा सकते थे। तब आरोपियों ने तुरंत मारने का तय किया।