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कभी पहलवानी करते थे मुलायम सिंह यादव, ऐसे बने एक शिक्षक से 3 बार सीएम, देखिए यादगार 10 तस्वीरें
लखनऊ (Uttar Pradesh) । यूपी के तीन बार सीएम रहे मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का आज जन्मदिन मना रहे है। जिन्हें पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने फोन कर बधाई दिया है। ऐसे में आज हम आपको मुलायम सिंह यादव के बारे में कुछ जानकारियां और पुरानी 10 तस्वीरें दिखा रहे हैं, जिसे कम ही लोग जानते हैं। जी हां, देश के रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव के पिता सुधर सिंह यादव उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे, जो जिला स्तर के पहलवान बन भी गए थे। लेकिन, पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह को मैनपुरी में की एक कुश्ती में प्रभावित करने के बाद उन्होंने उन्हीं के ही विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर से राजनीतिक सफर शुरू किया। राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव ने कुछ दिन तक इंटर कॉलेज में अध्यापन का भी काम किया था। आइये जानते हैं अब विस्तार से।
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गरीब किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह के पांच भाई-बहन हैं। 15 साल की उम्र में ही उनपर लोहिया की विचारधारा का असर देखने को मिला था। हालांकि उनके पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे।
मुलायम सिंह यादव 28 साल की उम्र में 1967 में अपने राजनीतिक गुरू राम मनोहर लोहिया की पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायकी का चुनाव पहली बार लड़ा था और जीतने में कामयाब रहे।
साल 1968 में जब राम मनोहर लोहिया का निधन हो गया, तब मुलायम सिंह अपने दूसरे राजनीतिक गुरू चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए।
साल 1977 में फिर विधायक चुने गए और यूपी की रामनरेश यादव सरकार में मंत्री बनाए गए। वो पिछड़ी जातियों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे। बेहद जमीनी नेता होने के कारण उनको धरती पुत्र भी कहा जाता है।
साल 1989 में वीपी सिंह राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा देकर देशभर में बोफोर्स घोटाले के बारे में लोगों को बता रहे थे। वीपी सिंह ने जनमोर्चा बनाया था। 1989 के दिसंबर में ही लोकसभा चुनाव के साथ-साथ यूपी विधान सभा चुनाव भी हुए। केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बनी और यूपी में मुलायम सिंह यादव पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उन्हें बीजेपी ने भी सपोर्ट किया था।
साल 1990 में मुलायम सिंह यादव ने चंद्रशेखर के साथ मिलकर समाजवादी जनता पार्टी बनाई। दो साल बाद यह साथ भी छूट गया और मुलायम ने 1992 में फिर अपनी सपा बनाई और बसपा से दोस्ती कर 1993 में फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए।
1996 में एक समय ऐसा भी आया जब मुलायम सिंह यादव का नाम पीएम पद की रेस में था। लेकिन, कहा जाता है कि दूसरे बड़े यादव नेता लालू यादव ने उनके नाम पर आपत्ति जता दी थी, जिसकी वजह से वो रेस में पिछड़ गए। हालांकि बाद में वह 1996 से 1998 के बीच देश के रक्षा मंत्री रहे।
साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर सियासी अखाड़े का धोबी पछाड़ दांव चला और मायावती को अपदस्थ कर दिया। एक साल पहले ही 2002 के चुनावों में मायावती ने बीजेपी के सहयोग से कुर्सी पाई थी। लेकिन बीजेपी ने उनसे अपना समर्थन वापस ले लिया।
बताते चले कि एक बार भी मुलायम सिंह यादव पांच साल के लिए मुख्यमंत्री नहीं रह पाए थे। मुलायम ने अपने राजनीतिक जीवन में मुस्लिमों और यादवों को साथ लेकर चलने वाला टूट राजनीतिक समीकरण बनाया था, जिसके दम पर वो आज भी राज्य में बड़ी हैसियत रखते हैं और उनकी पार्टी विपक्षी पार्टी की भूमिका में है।
बता दें कि मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य इन दिनों ठीक नहीं है। इसी कारण वह अपने घर में ही सीमित हैं।14 अक्टूबर को कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। इसके बाद उनकी पत्नी की तबीयत भी बिगड़ गई थी