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5 साल की बहन की जान बचाने के लिए सांड से भिड़ गया था 13 साल का भाई, स्कूली बैग को बनाया था हथियार
लखनऊ ( Uttar Pradesh) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाले देश के 32 बच्चों से बात की। इनमें टॉप थ्री बच्चों को बहादुर का पुरस्कार दिया, जिनमें यूपी के बारांबकी निवासी दिव्यांश सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने स्कूल बैग को हथियार बनाकर महज 13 साल की उम्र में साड़ से लड़कर अपनी बहन की जान बताई थी। जिससे प्रभावित होकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, पूर्व राज्यपाल रामनाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया था। जिनके बहदुरी की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं।
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दिव्यांश की उम्र इस समय 16 साल हो गई है। वो बाराबंकी शहर निवासी है और वो बहादुर होने के साथ उत्कृष्ट छात्र भी हैं। परिवार के लोगों के मुताबिक बात 30 जनवरी 2018 है, तब दिव्यांश सिंह की उम्र केवल 13 साल थी। वो अपनी पांच वर्षीय बहन समृद्धि समेत आठ दूसरे स्कूली बच्चों के साथ लौट रहा था।
शहर के रोडवेज बस अड्डे के पास एक सांड़ ने उसकी बहन पर हमला कर दिया। बताते हैं कि बहन की जान पर खतरा देख दिव्यांश बहादुरी और अदम्य साहस दिखाते हुए अपने स्कूली बैग से ही हमलावर सांड से भिड़ गया और आखिर में सांड को भगाकर बहन की जान बचा ली थी। इस दौरान दिव्यांश के दाहिने हाथ में चार जगह फ्रैक्चर हो गया।
दिव्यांश सिंह के पिता डॉ. डीबी सिंह लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्र दिव्यांग विश्वविद्यालय में छात्र कल्याण विभाग के एसोसिएट संकायाध्यक्ष और मां डॉ. विनीता सिंह पैसार स्थित श्री गंगा मेमोरियल पीजी कॉलेज में उप प्राचार्य हैं।
(दिव्यांश सिंह का घर)
दिव्यांश को इससे पहले भी 2018 में राष्ट्रीय बाल कल्याण परिषद द्वारा ‘रानी लक्ष्मीबाई वीरता’ पुरस्कार मुख्यमंत्री द्वारा दिया जा किया जा चुका है। वर्ष 2019 में जीवन रक्षा पदक से नवाजा जा चुका है।
दिव्यांश राज्य स्तरीय साइंटिफिक इनोवेटिव एवार्ड 2019, यंग चाइल्ड एवार्ड फॉर साइंटिफिक इनोवेशन 2018 के साथ दो दर्जन से अधिक पुरस्कार पाकर अपने माता-पिता और जिले का नाम रोशन कर चुके हैं।