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देव दीपावली पर वाराणसी आ रहे पीएम मोदी,15 लाख दीयों से सजेंगे 84 घाट,गंगा की लहरों पर होगा लेजर शो
वाराणसी (Uttar Pradesh) । देव दीपावली पर 30 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आने का संभावित कार्यक्रम है। इसे लेकर जिला प्रशासन और पार्टी के ओर से तैयारियां तेज हो गई है। मिर्जामुराद खजूरी में मंच आकर लेने लगा है। साथ ही वाटर व फायर प्रूफ 300 फिट चौड़ा और 438 फिट लंबा पंडाल बनने का सामान भी पहुंच चुका है। बता दें कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली पर ना भूतो ना भविष्यति स्तर का ग्रैंड शो का आयोजन किया जाएगा। अयोध्या की तर्ज पर 15 लाख दीयों से 84 घाट सजाने की तैयारी है। खबर है कि गंगा नदी में पानी की लहरों पर लेजर शो एवं प्रोजेक्टर के माध्यम से काशी की महिमा, शिव की महिमा एवं गंगा अवतरण आदि का भव्य प्रदर्शन होगा। बनारस के घाटों पर देव दीपावली हर साल बड़े पैमाने पर मनाई जाती है और दुनिया भर से लोग इसे देखने आते हैं।
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योगी सरकार काशी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली को और भी भव्य बनाने जा रही है। देव दीपावली पर पिछले साल काशी के घाटों को दस लाख दीयों की रोशनी से रोशन किया गया था, जबकि इस बार देव दीपावली को भव्य बनाने के लिए 15 लाख से अधिक दीयों को जलाया जाएगा।
इस बार देव दीपावली में 15 लाख से ज्यादा के दीयों से काशी के घाट सजाए जाएंगे। एक बड़ा प्रकाश उत्सव आयोजित होगा। देव दीपावली के दिन 20-25 घाटों पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। यहां पर आने वाले पर्यटक नाव से भी इसका नजारा देख सकेंगे।
(फाइल फोटो)
राजघाट पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गंगा में दीपदान की तैयारियां चल रही है। गंगा और सीढ़ीयों पर 60 फिट लंबा और 45 फिट चौड़ा मंच बनना है। पीडब्ल्यूडी को यहां की जिम्मेदारी मिली है। यहां से प्रधानमंत्री नावों के काफिला संग घाटों पर किये गए, दीपोत्सव को निहारेंगे। जगह जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा के रास्ते प्रधानमंत्री मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में मत्था टेकने जाएंगे। कॉरिडोर के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर सारनाथ धम्मेख स्तूप पर लाइट एंड साउंड शो देखेंगे। तिब्बती संस्थान के लोगो से संवाद भी प्रस्तावित है। इस मौके पर पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हंडिया से मोहनसराय तक बने सिक्सलेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं।
(फाइल फोटो)
बताते चले कि देव दीपावली के दिन माना जाता है कि सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी।
(फाइल फोटो)
इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसीलिए देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है।
(फाइल फोटो)