- Home
- States
- Uttar Pradesh
- 9 साल पहले इस हत्याकांड से हिल गई थी सरकार, 2 बार कराना पड़ा था मासूम का पोस्टमॉर्टम
9 साल पहले इस हत्याकांड से हिल गई थी सरकार, 2 बार कराना पड़ा था मासूम का पोस्टमॉर्टम
लखीमपुर खीरी (Uttar Pradesh). करीब 9 साल पहले 2011 में मायावती सरकार को हिला देने वाले सोनम हत्याकांड में आखिरकार 2 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया है। 28 फरवरी को दोनों को सजा सुनाई जाएगी। लखनऊ सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह ने तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को सबूत मिटाने और सिपाही अतीक अहमद को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी पाया है। साथ ही कोर्ट ने दो अन्य आरोपित सिपाही शिवकुमार और उमाशंकर को सबूत के अभाव में बरी कर दिया।
| Published : Feb 27 2020, 12:31 PM IST
9 साल पहले इस हत्याकांड से हिल गई थी सरकार, 2 बार कराना पड़ा था मासूम का पोस्टमॉर्टम
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
17
घटना 10 जून 2011 की है। जबरदस्त गर्मी के बीच यूपी के लखीमपुर खीरी में ऐसा कांड हुआ जिसमें सूबे की बसपा सरकार को हिला दिया।
27
जिले के निघासन थाना परिसर में नाबालिग लड़की सोनम का शव पेड़ से फंदे पर लटका मिला था। घटना के बाद सोनम की मां तरन्नुम ने एफआइआर दर्ज कराई थी।
37
एफआईआर में उन्होंने कहा था, बेटी सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चराते हुए थाने के अंदर चली गई। काफी देर बाद भी जब सोनम वापस नहीं लौटी तो वो उसकी तलाश में थाना परिसर में गई। वहां देखा कि थाना परिसर में बेटी का शव एक पेड़ से दुपट्टे के फंदे पर लटक रहा था। उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। बेटी की हत्या कर उसका शव पेड़ पर लटकाया गया।
47
पुलिस दुष्कर्म और हत्या का केस दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है। मामला तूल पकड़ने पर निघासन के तत्कालीन सपा विधायक केजी पटेल और श्रीनगर के सपा विधायक डॉ. आरए उस्मानी निघासन तहसील के बाहर धरने पर बैठ जाते हैं। मामला गंभीर होता देख एसपी तत्कालीन निघासन एसओ समेत 11 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर देते हैं।
57
जिला अस्पताल के डॉ. एसपी, डॉ. एके शर्मा और एके अग्रवाल का पैनल सोनम के शव का पोस्टमार्टम करता है। रिपोर्ट में बच्ची की मौत फांसी पर लटकने से होना बताया जाता है। हालांकि, दुष्कर्म की पुष्टि ननहीं होती है। लेकिन मृतका की मां को इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं होता। इस बीच राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, आजम खा और उमा भारती समेत तमाम बड़े नेता निघासन पहुंचकर सोनम के परिवार से मुलाकात करते हैं।
67
मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी और आईजी सुबेश कुमार को खीरी भेजा जाता है। साथ ही लखनऊ से चार डॉक्टरों के पैनल से शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाता है। जिनकी रिपोर्ट में सामने आता है कि बच्ची की मौत गला दबाकर हुई। हालांकि, दुष्कर्म की पुष्टि नहीं होती है। इसके बाद पहली बार सोनम के शव का पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया जाता है। उनके खिलाफ केस भी दर्ज होता है।
77
मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाती है। आत्महत्या का रूप देने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले तीन डॉक्टरों को 2018 में सीजेएम कोर्ट से सजा मिलती है। साथ ही जांच में तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को सबूत मिटाने और सिपाही अतीक अहमद को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी पाया जाता है।