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  • यूपी के 10 बाहुबलियों का रिजल्ट अपडेट: सरधना से संगीत सोम हारे, कैराना से नाहिद हसन ने मृगांका सिंह को हराया

यूपी के 10 बाहुबलियों का रिजल्ट अपडेट: सरधना से संगीत सोम हारे, कैराना से नाहिद हसन ने मृगांका सिंह को हराया

नई दिल्ली। यूपी (UP Chunav 2022 Result) की राजनीति में हमेशा बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है। अपने रसूख के दम पर कई बार ये दबंग नेता चुनाव का रुख मोड़ने में कामाब रहे हैं। यूपी का पूर्वांचल इलाका तो खासतौर पर बाहुबलियों का गढ़ रहा है। यहां से ऐसे कई दबंग नेता चुनाव लड़ते आ रहे हैं, जिन्हें हराना लोहे के चने चबाने जैसा है। पूर्वांचल के अलावा यूपी के दूसरे इलाकों में भी ऐसे कई बाहुबली नेता हैं, जिनके इर्द-गिर्द ही सियासत घूमती है। इस बार विधानसभा चुनाव में इन बाहुबलियों के क्या हाल हैं? कौन कहां से मैदान में उतरा और किसने किसको हराया। जानते हैं उत्तर प्रदेश के ऐसे ही 10 बाहुबलियों के बारे में। 

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Asianet News Hindi
Published : Mar 10 2022, 08:15 AM IST| Updated : Mar 10 2022, 08:59 PM IST
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रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया)
सीट - कुण्डा (प्रतापगढ़)

प्रतापगढ़ के कुण्डा से राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पहली बार किसी पार्टी से विधायक बनेंगे। वे 1993 से लगातार अभी तक यानी 6 चुनावों में निर्दलीय ही जीतते रहे हैं लेकिन इस बार वो अपनी पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजा भैया ने साल 2018 में जनसत्ता दल बनाई थी। राज भैया कुंडा के बाहुबली नेता कहे जाते हैं और उनका इस क्षेत्र में बड़ा रसूख है। समाजवादी पार्टी ने इस बार यहां से गुलशन यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, बीजेपी से सिंधुजा मिश्रा हैं।  

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संगीत सोम 
सीट - सरधना (मेरठ)

संगीत सोम सरधना से चुनाव हार गए हैं। उन्हें सपा के अतुल प्रधान ने करीब 18 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर बसपा के संजीव धामा हैं। संगीत सोम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) का बड़ा चेहरा थे, लेकिन वो जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब नहीं हो पाए। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने सरधना सीट से संगीत सोम को अपना उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के बाद बने नए समीकरण की वजह से यहां कांटे की टक्कर थी।

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अब्बास अंसारी
सीट-मऊ सदर

पूर्वांचल की मऊ सदर (Mau Sadar) सीट से अब्बास अंसारी चुनाव जीत गए हैं। अंसारी ने बीजेपी के अशोक सिंह को करीब 38 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर बसपा के उम्मीदवार भीम राजभर रहे। बता दें कि ये सीट पांच बार के विधायक और इस सीट पर 1996 से लगातार जीतते आ रहे मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की वजह से हमेशा से चर्चा में रही है। हालांकि, इस बार मुख्तार अंसारी की जगह उनके बेटे अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से चुनावी मैदान में थे। 

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नाहिद हसन 
सीट - कैराना (शामली)

समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के कैराना विधानसभा सीट के प्रत्याशी नाहिद हसन चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने करीब 26 हजार वोटों से बीजेपी की मृगांका सिंह को हरा दिया है। 34 साल के नाहिद हसन ने जिस मुस्लिम गुर्जर परिवार में जन्म लिया, वो राजनीति में 38 साल से है। कई आपराधिक मामलों में शामिल सपा उम्मीदवार नाहिद हसन का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह से था। मृगांका की इस इलाके में अच्छी पैठ है और उनके पिता हुकुम सिंह यहां से सांसद रह चुके हैं। 

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विजय मिश्रा
सीट - ज्ञानपुर (भदोही)

भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा से बाहुबली विजय मिश्रा चुनाव हार गए हैं। यहां से निर्बल शोषित इंडियन हमारा आम दल के विपुल दुबे ने उन्हें शिकस्त दी। पांचवीं बार विधायक बनने के लिए बाहुबली विजय मिश्रा (Vijay Mishra) जेल से ही चुनाव लड़ रहे थे। विधायक विजय मिश्रा प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर ज्ञानपुर विधानसभा से चुनावी मैदान में थे। रिश्तेदार से मारपीट और उसकी संपत्ति पर कब्जा करने सहित अन्य मामलों में वो फिलहाल आगरा जेले में बंद हैं। बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का इस सीट पर दबदबा रहा है। हालांकि, इस बार उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री रामकिशोर बिन्द, बसपा से रिटायर्ड पुलिसकर्मी उपेंद्र सिंह से था। 

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विनय शंकर तिवारी
सीट : चिल्लूपार (गोरखपुर)

चिल्लूपार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विनय शंकर तिवारी हार गए हैं। उन्हें बीजेपी के राजेश त्रिपाठी ने करीब 21 हजार वोटों से शिकस्त दी। विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर 2017 में पहली बार चिल्लूपार सीट से भाजपा उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी को हराकर विधायक बने थे। हालांकि इससे पहले इस सीट से उनके पिता पंडित हरिशंकर तिवारी ही लंबे समय तक विधायक रहे। 

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रमाकांत यादव
सीट - फूलपुर पवई (आजमगढ़)

फूलपुर से बाहुबली रमाकांत यादव चुनाव जीत गए हैं। सपा के रमाकांत यादव ने बीजेपी के राम सूरत को करीब 17 हजार वोटो से शिकस्त दी। आजमगढ़ के बाहुबली रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत यादव 2017 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर पवई से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी ने इस सीट से उनके पिता रमाकांत यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था। ऐसे में बीजेपी ने इस बार अरुणकांत यादव का टिकट काट उनकी जगह रामसूरत राजभर को अपना प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस, सपा, बसपा व भाजपा सहित सभी दलों में रह चुके रमाकांत यादव फूलपुर से चार बार विधायक और इतने ही बार सांसद रह चुके हैं। 

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अमनमणि त्रिपाठी
सीट - नौतनवा (महराजगंज)


यूपी के महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी बसपा से चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा गठबंधन वाली निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के ऋषि त्रिपाठी ने करीब 44 हजार वोटों से शिकस्त दी। अपने बाहुबली पिता की तरह ही अमनमणि त्रिपाठी का दामन भी दागदार रहा है। 2015 में उन पर अपनी पत्‍नी सारा सिंह की हत्‍या करने का आरोप लगा था। अमनमणि त्रिपाठी की राह इस बार उतनी आसान नहीं लग रही थी। 

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धनंजय सिंह
सीट - मल्हनी (जौनपुर)


पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली और माफिया धनंजय सिंह चुनाव हार गए हैं। उन्हें सपा के लकी यादव ने करीब 17 हजार वोटों से हरा दिया। धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े थे। पूर्व सांसद धनंजय सिंह 2002 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रारी विधानसभा (वर्तमान में मल्हनी) से चुनाव जीतकर राजनीति में दबंगई के साथ सामने आए थे। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने रारी विधानसभा से जेडीयू और भाजपा गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह मल्हनी विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे।

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अभय सिंह
सीट - गोसाईगंज (अयोध्या)


सपा के अभय सिंह गोसाईगंज से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी की आरती तिवारी को कड़ी टक्कर देते हुए हराया। यूपी के बाहुबली कहे जाने वाले अभय सिंह का कृष्णानंद राय हत्याकांड से लेकर सीएमओ हत्याकांड तक में नाम सामने आ चुका है। अभय सिंह का नाम मुख्तार अंसारी के सबसे खास लोगों की सूची में शामिल है। अभय सिंह को मुख्तार अंसारी का राइट हैंड भी कहा जाता है। अभय सिंह का नाम सबसे पहले लखनऊ के जेलर आरके तिवारी हत्याकांड में आया था। बाद में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी अभय सिंह का नाम सामने आया। 

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