यहां होली पर हाथी से भिड़ जाते हैं लोग
| Published : Mar 09 2020, 01:22 PM IST / Updated: Mar 09 2020, 04:16 PM IST
यहां होली पर हाथी से भिड़ जाते हैं लोग
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उत्तर प्रदेश के बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है। यह होली पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में खेली जाती है। इस होली में महिलाएं रंग खेलने के साथ पुरुषों को डंडों से मारती हैं। लेकिन इसका ख्याल रखा जाता है कि उन्हें चोट नहीं लगे। लट्ठमार होली खेलने के साथ औरतें रंगों की जगह लड्डू बरसाती हैं और होली के गीत गाती हैं।
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उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन की होली बेहद खास मानी जाती है। वृंदावन में होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। मथुरा में ही कृष्ण का जन्म हुआ था। यहां मटकाफोड़ होली होती है। यहां होली के दौरान राधा और कृष्ण के प्रेम से जुड़े परंपरागत गीत गाए जाते हैं, जो देश के दूसरे इलाकों में भी प्रचलित हैं। यहां के मंदिरों में होली के मौके पर रास लीलाओं का आयोजन होता है।
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पश्चिम बंगाल के मशहूर शांति निकेतन में होली के अवसर पर वसंतोत्सव मनाया जाता है। यहां होली एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है। इसकी शुरुआत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने ही की थी। होली के अवसर पर शांति निकेतन के छात्र और छात्राएं पीले व केसरिया परिधानों में सज कर रवींद्रनाथ टैगोर के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं के साथ लोग गलियों और बाजारों में गीत गाते हुए घूमते हैं। इसे डोल जात्रा कहा जाता है।
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उत्तराखंड में कुमाउंनी होली खेली जाती है। इस मौके पर यहां के लोग परंपरागत परिधानों चूड़ीदार पाजामा, कुर्ता और नोकदार टोपी पहन कर एक जगह बैठते हैं और शास्त्रीय संगीत पर आधारित होली के गीत गाते हैं। इस मौके पर ढोल और हुरका जैसे परंपरागत वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं। यहां खड़ी होली, महिला होली और बैठकी होली अलग-अलग मनाई जाती है। मंदिरों में होली-गायन के कार्यक्रम होते हैं। यहां की होली की खासियत है कि नैचुरल कलर का इस्तेमाल किया जाता है। ये रंग फूलों से लोग खुद बनाते हैं।
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पंजाब के आंनदपुर साहिब में होली को होला मोहल्ला कहा जाता है। इस मौके पर लोग अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। होली के मौके पर निहंग सिख तलावरबाजी और दूसरी युद्ध कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। इस मौके पर राज्य की ग्रामीण महिलाएं अपने घरों की दीवारों पर पेंटिंग बनाती हैं, जिन्हें चौकपूर्णा कहते हैं।
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मणिपुर में होली को रासरंग उत्सव कहा जाता है। यहां होली के मौके पर लोग गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। ये स्थानीय लोक नृत्य होते हैं, जिन्हें थाबल छोगंबा कहा जाता है। यहां होली का त्योहार 6 दिनों तक चलता है। लोग आग जला कर वहां गुलाल खेलते हैं। वे परंपरागत पीली और सफेद पगड़ी इस मौके पर पहनते हैं। होली के दिन मणिपुर के लोग बड़ी संख्या में भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाते हैं और कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन होता है।
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राजस्थान में उदयपुर और जयपुर की होली खास तौर पर प्रसिद्ध है। उदयपुर का मेवाड़ राजघराना होली के त्योहार पर बेहद शानदार आयोजन करता है। उदयपुर के मानेक चौक से लेकर सिटी पैलेस तक लोग जुलूस के रूप में जाते हैं, जिनके आगे सजे-सजाए हाथी चलते हैं, जिन पर राजघराने के लोग बैठे रहते हैं। इस जुलूस में हाथियों के अलावा घोड़े भी शामिल होते हैं। इस दिन हाथियों का पोलो गेम भी आयोजित किया जाता है। इस मौके पर हाथी नाचते भी हैं और उनके साथ पुरुषों व महिलाओं के झुंड लड़ाई भी करते हैं, जो सिर्फ प्रतीकात्मक होता है।
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दक्षिण भारत में होली मनाने का रिवाज वैसे तो कम है, लेकिन यहां कई जगहों पर इसे रति और कामदेव के मिलन की याद में मनाया जाता है। उनके प्यार से जुड़े कई गीत लोग होली के मौके पर गाते हैं। होली को दक्षिण भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे मलयालम में मंजुल कुली, तेलंगाना में कामुधा, कर्नाटक में कामधाना और तमिलनाडु में पाडिगई कहते हैं। कर्नाटक के विजयनगर साम्राज्य के महत्वपूर्ण शहर हम्पी के भग्नावशेषों में काफी भीड़ इस मौके पर जुटती है। लोग ढोल और दूसरे वाद्ययंत्र बजा कर गीत गाते हैं। ले एक-दूसरे को रंग-गुलाल भी लगाते हैं।
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दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में होली बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस मौके पर कोई घर में छिप कर रंगों से बच नहीं सकता। पड़ोसी और जान-पहचान के लोग उन्हें घरों से खींच कर लाते हैं और रंगों में सराबोर कर देते हैं। होली के मौके पर सड़कों पर भी भीड़ उमड़ पड़ती है। ये एक-दूसरे पर रंगों की बारिश कर देते हैं। होली पर यहां जम कर लोग भांग और शराब पीते हैं। इस मौके पर संगीत के कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। मुंबई के धारावी स्लम बस्ती की होली काफी फेमस है।