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आज रात आसमान से होगी सैंकड़ों अंगारों की बरसात, इतिहास में अब तक नहीं देखी गई होगी उल्कापिंड की ऐसी बाढ़
हटके डेस्क: साल 2020 में दुनिया को काफी कुछ देखने को मिल रहा है। जहां पूरी दुनिया कोरोना से प्रभावित है वहीं इस साल अंतरिक्ष में भी हर साल से अधिक गतिविधि दिख रही है। अब 11 से 13 अगस्त तक आपको आसमान में हर घंटे सैंकड़ों टूटते तारे नजर आएंगे। ये दरअसल, उल्कापिंड के वो हिस्से हैं, जो तेजी से अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहे हैं। इस हफ्ते ये अपने चरम पर होगा। इसके पीछे वजह बताई गई है कॉमेट स्विफ्ट टटल। ये सबसे ज्यादा चमकने वाले उल्कापिंड हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि एक घंटे 100 से अधिक उल्कापिंड गिरते नजर आएंगे। अगर दावों की मानें तो अभी से पहले कभी भी ऐसा नजारा लोगों ने नहीं देखा होगा।
| Published : Aug 11 2020, 12:55 PM IST / Updated: Aug 11 2020, 04:04 PM IST
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आज रात यानी 11 अगस्त से 13 अगस्त तक Perseid उल्कापिंडों की बौछार चरम पर होगी। इसके पीछे वजह है धूमकेतु स्विफ्ट-टटल के टूटे मलबे जो पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरेंगे।
उल्कापिंडों की ये बौछार वास्तव में जुलाई के मध्य में शुरू हो गई थी। लेकिन अब 11 अगस्त और 13 अगस्त के बीच ये अपने चरम पर होगी।
इस दौरान आपको एक घंटे में करीब सौ उल्कापिंड आसमान से पृथ्वी पर गिरते हुए नजर आएंगे। खासकर नॉर्दर्न हेमिशफेयर में।
इन उल्कापिंडों का साइज ज्यादा बड़ा तो नहीं होगा। कहा जा रहा है कि इनका आकार धूल के कण जितना होगा लेकिन जिस स्पीड से ये पृथ्वी पर गिरेंगे वो काफी अधिक होगा।
अपनी स्पीड के कारण ये आग की लकीरों में बदल जाएंगे। ये अट्मॉस्फेयर में 36 मील प्रति सेकंड की स्पीड से एंटर करेंगे।
इन उल्काओं को पर्सिड्स के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे पर्सियस नक्षत्र से बाहर निकले हैं। साथ ही इन्हें दुनिया में कहीं भी नग्न आंखों से देखा जा सकता है।
कहा जा रहा है कि अगर रात को आसमान साफ़ होगा तो इन्हें आधी रात से सुबह साढ़े पांच बजे तक देखा जा सकेगा। ये सबसे साफ़ यूके में दिखेगा।
इसके अलावा ये खगोलीय शो भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण दोनों में भी दिखाई देगा। हालांकि मध्य-उत्तरी अक्षांशों में इसे सबसे साफ़ देखा जा सकेगा।
खगोलविदों के अनुसार, इस उल्कापिंड की बरसात को अमेरिका, यूरोप और कनाडा में सबसे अच्छे रूप में लोग देख पाएंगे।
हालांकि, इसका कुछ हिस्सा यानी उल्का बौछार के तारकीय दृश्य मैक्सिको और मध्य अमेरिका, एशिया, अफ्रीका के अधिकांश भाग और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों से भी दिखाई देंगे।