40 साल से लिखी जा रही थी उत्तराखंड तबाही की कहानी, 2 साल पहले इन्होने की थी भविष्यवाणी
- FB
- TW
- Linkdin
जून 2019 में Science Advances जर्नल में छपी इस रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट्स ने बताया था कि 2000 से ग्लेशियर से डेढ़ फुट बर्फ पिघल रही है। ये 1975 की तुलना में दोगुनी रफ़्तार है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पीएचडी कैंडिडेट जोशुआ मौरेर भी इस स्टडी का हिस्सा थे। उन्होंने कहा था कि सैटेलाइट पिक्चर्स साफ़ बता रहे हैं कि बर्फ पिघलने की रफ़्तार काफी तेज हो रही है और इससे काफी भयानक आपदा आ सकती है।
जर्नल में छपी रिपोर्ट 40 साल के सैटेलाइट ऑब्जर्वेशन पर आधारित थी। इन एक्सपर्ट्स ने 40 साल तक आसमान से हिमालय के ग्लेशियर पर नजर रखी थी। इसके बाद अभी रिसर्च को पब्लिश किया था।
हिमालय के आसपास बढ़ती आबादी की वजह से ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे थे। 1975 से 2000 की तुलना में 2016 तक हर साल एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान में बढ़ोतरी हुई। इस दौरान रिसर्चर्स ने हिमालय के 650 ग्लेशियर्स पर नजर रखी थी।
रिसर्च के आधार पर चेतावनी दी गई थी कि अगर हिमालय के इन इलाकों में बढ़ती जनसँख्या पर रोक नहीं लगाया गया, तो नतीजा काफी बुरा होगा। लेकिन किसी ने इस स्टडी पर ध्यान नहीं दिया।
उस वक्त ही इस स्पीड के आधार ओर भारी तबाही की भविष्यवाणी कर दी गई थी। इसके बावजूद हिमालय के इन इलाकों में लोग बसते गए और तापमान में वृद्धि होती गई। इस वजह से ग्लेशियर का हिस्सा टूटा और ये आपदा आ गई।