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कोरोना में बदल गया था डॉक्टर की चमड़ी का रंग, 5 महीने मौत से लड़ने के बाद आखिरकार हार गया योद्धा
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जनवरी में कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान ही डॉ हु वायरस की चपेट में आ गए थे। अब चीन के वेबसाइट द पेपर ने उनकी मौत की पुष्टि की है।
42 साल के इस डॉक्टर का पिछले एक महीने से आईसीयू में ट्रीटमेंट चल रहा था। डॉ हु चीन में कोविड 19 को लेकर सबसे पहले आवाज उठाने वाले ली वेलिआंग के करीबी थे।
डॉ हु जिस वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में काम करते थे, वहां के पांच डॉक्टरों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई। डॉ हु बीते 39 दिन से और अधिक सीरियस हो गए थे।
कोरोना की वजह से उनके स्किन का रंग एकदम बदल गया था। ये कोरोना का एक नया सिम्प्टम था। इस कारण डॉ हु चर्चा में आए थे।
हालांकि 6 अप्रैल को बीजिंग के एक टीवी शो में दिखे डॉ हु बीमारी से ठीक हो रहे थे। उनका रंग भी धीरे-धीरे साफ़ हो रहा था।
डॉक्टरों ने बताया था कि कोरोना से लड़ने के लिए दी जा रही दवाइयों के कारण उनका ऐसा रंग हुआ था। जो समय के साथ ठीक हो जाएगा। लेकिन उससे पहले ही डॉ हु की मौत हो गई।
लाल घेरे में डॉ हु। वो कोरोना से पहले फुटबॉल टीम के सदस्य भी थे। डॉ हु को 18 जनवरी को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था।
डॉ हु के साथ डॉ यी जो उसी अस्पताल में काम करते थे, भी उसी दिन कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। दोनों का एक ही साथ इलाज चल रहा था। डॉ यी जहां रिकवर कर रहे हैं, वहीं डॉ हु को बोलने में काफी दिक्कत हो रही थी।
वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में काम करने वाले ली वेलिआंग (लेफ्ट) ने सबसे पहहले कोरोना को लेकर लोगों को इन्फॉर्म किया था। इसके बाद उनपर फेक खबर फैलाने का आरोप लगा और उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। वहीं डॉ जहु (राइट) ने ली की मदद की थी। लेकिन बाद में वो खुद कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद 9 मार्च को कोरोना से उनकी मौत हो गई।
डॉ जिआंग (लेफ्ट) और डॉ में ज़्होंगमिंग (राइट) भी वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में काम करते थे। दोनों की मौत कोरोना से हो गई।