यहां बना है खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल, देखें अंदर की 10 तस्वीरें
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भारत ने फ्रांस और दसॉल्ट के साथ सितंबर 2016 में समझौता किया था। इसके तहत 59 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा हुआ था।
इसके तहत भारत में 30 सिंगल सीटर और 6 टू सीटर विमान आ रहे हैं। टू सीटर विमान पायलटों को ट्रेनिंग देने के लिए हैं। भारत को आज 5 विमान मिल गए हैं। इनमें से चार सिंगल सीटर हैं।
दसॉल्ट एविएशन फ्रांस की एयरक्राफ्ट मेनुफैक्टरिंग कंपनी है, जो इंटरनेशनल लेवल पर मिल्ट्री, रीजनल और बिजिनेस जेट बना कर बेचता है।
दसॉल्ट की स्थापना 1929 में मार्सेल बलोच ने की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, मार्सेल बलोच ने अपना नाम बदलकर मार्सेल दसॉल्ट रखा और 20 जनवरी 1947 को कंपनी का नाम बदलकर एवियन्स मार्सेल दसॉल्ट कर दिया गया।
कंपनी ने राफेल के अलावा मिराज और फाल्कन जैसे लड़ाकू विमान भी बनाए हैं। मिराज का इस्तेमाल भारत समेत दुनिया के 9 देश भी कर रहे हैं। भारत के पास 51 मिराज 2000 हैं।
राफेल एक आधुनिक विमान है। फ्रांस पिछले एक दशक से इसका इस्तेमाल कर रहा है। दसॉल्ट के पास 264 राफेल विमानों का ऑर्डर है। अभी 132 राफेल फ्रांस इस्तेमाल कर रहा है। जबकि भारत ने 36, कतर ने 24 और इजिप्ट ने 24 विमानों का ऑर्डर दिया है।
राफेल एक फ्रेंच शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है तूफान। इस विमान की अधिकतम स्पीड 2,130 kM/h और मारक क्षमता 3700 Km तक है।
राफेल में खास इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम भी लगा है, इससे दुश्मनों की लोकेशन भी पता लगाई जा सकती है। विमान 1 मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसमें 25,500 किलो तक वजन भी ले जाया जा सकता है।
भारत से पहले इजिप्ट और कतर भी ये विमान खरीद चुके हैं। वहीं, फिनलैंड, मलेशिया, यूएई और स्विटजरलैंड खरीदने की कतार में हैं।
राफेल का मिसाइल सिस्टम काफी आधुनिक और बेहतर है। यह विमान हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीक निशाना साधने वाले हथियारों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल है, जो 150 किलोमीटर मार कर सकती है। वहीं, स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है। जबकि HAMMER का इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है। यह मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगार साबित होती है।