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मर जाएंगे लेकिन इस्लाम कबूल नहीं करेंगे...पाकिस्तान में तब्लीगी जमात के खिलाफ हिंदुओं ने किया प्रदर्शन
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले किसी से छिपे नहीं है। ऐसा ही एक और मामला यहां के सिंध प्रांत से सामने आया है। पाकिस्तान में तब्लीगी जमात पर आरोप लगे हैं कि संगठन के लोगों ने हिंदुओं पर अत्याचार किया, घरों में तोड़फोड़ की, यहां तक की धर्मपरिवर्तन से इनकार करने पर हिंदू लड़के का अपहरण कर लिया गया। इसके साथ इस्लाम कबूल ना करने पर लोगों के घरों पर कब्जा कर उन्हें भगा भी दिया गया। इस घटना के खिलाफ सिंध में बड़ी संख्या में हिंदुओं ने प्रदर्शन किया है। महिलाओं का कहना है कि वे मर जाएंगी, लेकिन इस्लाम कबूल नहीं करेंगी।
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महिलाएं कह रही हैं कि वे मर जाएंगी लेकिन इस्लाम कबूल नहीं करेंगी। तब्लीगी जमात के खिलाफ इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं और बच्चे शामिल हुए।
महिलाएं कह रही हैं कि वे मर जाएंगी लेकिन इस्लाम कबूल नहीं करेंगी। तब्लीगी जमात के खिलाफ इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं और बच्चे शामिल हुए।
प्रदर्शन में शामिल एक महिला ने बताया, उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया। घर तोड़ दिए गए, उनके साथ मारपीट की गई। उनसे कहा गया कि वे या तो धर्मपरिवर्तन करें, जब उन्होंने इनकार कर दिया तो उन्हें वहां से भगा दिया गया।
वहीं, एक अन्य वीडियो भी वायरल हुआ। इसमें महिला ने बताया कि उसके बेटे को तब्लीगी जमात के लोगों ने अपहरण कर लिया। महिला ने तब्लीगी जमात से बच्चे को लौटाने के लिए गुहार भी लगाई।
पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में हिंदुओं और ईसाइयों का उत्पीड़न लगातार जारी है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने हाल ही में कहा कि इमरान खान सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदायों पर भयानक, धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हुए हैं। हिंसा को रोकने के लिए अभी तक इमरान सरकार की ओर से कोई भी कदम भी नहीं उठाए गए हैं।
पाकिस्तान में लगातार अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ रहे हैं। अमरीका में सिंधी फाऊंडेशन के मुताबिक, सिंध प्रांत में हर साल करीब 1000 लड़कियों का अपहरण होता है। उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इसके बाद उनकी मुस्लिमों के साथ शादी कराई जाती है।
पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शियाओं को उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। यहां अल्पसंख्यकों को जबरन इस्लाम की पढ़ाई करवाई जाती है। यहां ईसाइयों-हिंदुओं को शव दफन करने में भी परेशानी उठानी पड़ती है।