खुशखबरी! बिना वैक्सीन के ही खत्म होगा कोरोना, डॉक्टर्स का दावा- कमजोर होने लगा वायरस
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डॉक्टर मैट्टेओ ने कहा, 'कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है। इस वायरस में अब वैसी क्षमता नहीं रह गई है जैसी दो महीने पहले थी। स्पष्ट रूप से इस समय की COVID-19 बीमारी अलग है।'
लोम्बार्डी के सैन राफेल अस्पताल के प्रमुख अल्बर्टो जांग्रिलो ने RAI टीवी को बताया, 'वास्तव में, वायरस क्लीनिकली रूप से अब इटली में मौजूद नहीं है। पिछले 10 दिनों में लिए गए स्वैब सैंपल से पता चलता है कि एक या दो महीने पहले की तुलना में अब इनमें वायरल लोड की मात्रा बहुत कम है।'
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी कोरोना वायरस से डरने की जरूरत है। वायरस अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग और सावधानी बरतना आवश्यक है।
इससे पहले अमेरिका से भी कोरोना के कमजोर पड़ने की खबर सामने आई थी। एरिजोना में वैज्ञानिकों ने कोरोना के SARS-CoV-2 वायरस में ऐसे अनूठे म्यूटेशन (बदलाव) और जेनेटिक पैटर्न का पता लगाया जो 17 साल पहले सार्स वायरस के संक्रमण के समय देखा गया था। ये म्यूटेशन वायरस प्रोटीन के बड़े हिस्से यानी इसके जेनेटिक मटेरियल का अपने आप गायब होना पाया था। उस दौरान पाया गया था कि कोरोना वायरस सैंपल की जांच में पाया गया कि वायरस के जेनेटिक मैटेरियल का एक हिस्सा गायब था।
वैज्ञानिक उत्साहित इसलिए हैं क्योंकि सार्स के वायरस में जब यह गायब होने वाला पैटर्न दिखा था तो उसके 5 महीनों के दौरान इस संक्रमण का खात्मा हो गया था। इसीलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि ये कोरोना वायरस का ये संकेत इसकी कमजोरी का कारण बन सकता है।
क्या होता है म्यूटेशन?
किसी स्थान या वातावरण या अन्य कारणों से किसी वायरस की जेनेटिक संरचना में होने वाले बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने मैथमेटिकल नेटवर्क एल्गोरिदिम की मदद से वायरस की संरचना का अध्ययन करते हैं।
अध्ययन के दौरान गायब मिले 81 लेटर्स
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जब 382 सैम्पलों का अध्ययन कर रहे थे तो एक वायरस सैम्पल में उन्हें 81 लेटर्स गायब मिले। इस शोध के प्रमुख डॉ. इफ्रेम लिम ने बताया कि, यह कुछ ऐसा है जो हमनें 17 साल पहले 2003 में सार्स वायरस के संक्रमण के दौरान देखा था। उस समय भी जब वायरस कमजोर पड़ रहा था तो उसकी प्रोटीन संरचना के बड़े हिस्से गायब होने लगे थे।
म्यूटेशन से साफ है, वायरस की क्षमता कम होती है
शोधकर्ता डॉ लिम कहते हैं कि कोरोना वायरस का यह कमजोर रूप इसलिए अच्छा है क्योंकि इससे समय के साथ वायरस की क्षमता के कम होने का पता चलता है। कमजोर वायरस वैक्सीन बनाने के दिशा में भी बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। वर्तमान में ऑक्सफोर्ड में जो कोरोना का वैक्सीन बनाया जा रहा है उसमें चिम्पैजी के कमजोर वायरस का इस्तेमाल हो रहा है।
इटली सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल
चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना के संक्रमण से इटली बुरी तरह से प्रभावित देशों में शामिल है। इटली दुनिया का तीसरा देश है, जहां कोरोना से सबसे अधिक 33 हजार 415 लोगों की मौत हुई है। जबकि यहां कोरोना शिकार मरीजों की संख्या 2 लाख 32 हजार 997 है।
दुनिया में कोरोना का हाल
दुनिया भर के 195 से अधिक देश कोरोना के संक्रमण से प्रभावित है। अब तक 62 लाख 78 हजार से अधिक लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं। जबकि 3 लाख 74 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राहत की बात है कि अब तक 28 लाख 52 हजार 761 लोग कोरोना को हरा भी चुके हैं। कोरोना के संक्रमण से सबसे अधिक अमेरिका प्रभावित है। यहां 18 लाख 37 हजार 170 लोग पॉजिटिव मिले हैं, 1 लाख 6 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।