सार
हिंदू समाज में गाय को माता माना जाता है। यानी उससे वही बर्ताव किया जाता है, जैसा कि एक मां से। हरियाणा के रेवाड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां गाय की मौत के बाद उसका पूरे रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया गया।,
रेवाड़ी, हरियाणा. गाय को हिंदू समाज में मां का दर्जा दिया है। उसे वही मान-सम्मान दिया जाता है, जो एक मां को दिया जाता है। ऐसा ही एक भावुक करने वाला मामला रेवाड़ी के एक गांव में देखने को मिला। यहां एक बूढ़ी गाय की मौत होने पर किसान ने उसका पूरे रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार किया। इस मौके पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। इस गाय की सोमवार को मौत हो गई थी।
8 साल से दूध नहीं दे रही थी गाय..
मामला रोझूवास के गांव से जुड़ा हुआ है। यहां रहने वाले सभाचंद के घर में एक गाय थी। सभाचंद हायर एजुकेटेड हैं। जब उनकी गाय की मौत हुई, तो उन्होंने गाय का उसी रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया, जैसा किसी इंसान का होता है। गाय की गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। सभाचंद ने बताया कि उन्होंने संकल्प लिया हुआ था कि जब भी उनकी बूढ़ी गाय दुनिया से जाएगी, वे उसे ससम्मान विदा करेंगे। वे बताते हैं कि यह संकल्प उनके स्वर्गीय पिता नंबरदार ने दिलाया था। उन्होंने कहा था कि गाय मां से कम नहीं होती। सभाचंद ने बताया कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो आमतौर पर उसे खुला छोड़ दिया जाता है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनकी गाय पिछले 8 साल से दूध नहीं दे रही थी। बावजूद उन्होंने गाय को पाला। उसे कोई तकलीफ नहीं होने दी। सभाचंद बताते हैं कि जिस गाय के लिए संकल्प लिया जाता है, उसे देई मान लिया जाता है। यानी उसे देवी मानते हैं, बेचा नहीं जाता।
ऊंची पढ़ाई-लिखाई के बाद भी खेती-किसानी अपनाई..
सभाचंद ने एमए और बीएड किया हुआ है। बावजूद उन्होंने नौकरी करने के बजाय खेती-किसान को अपनाया। उनके पास 40 एकड़ भूमि है। सभाचंद कहते हैं कि अगर सब लोग इसी तरह संकल्प ले लें, तो गोशालाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सड़कों पर भी लावारिश गायें नहीं दिखेंगी।