सार

हरियाणा में बालकनी से गिरकर जान गवाने वाली 18 महीने की बच्ची के परिवार ने कई लोगों की जान बचाने के लिए उसके अंगों का दान कर दिया है।

हेल्थ डेस्क : हरियाणा में नूह के मेवात में 6 नवंबर को अपने घर की बालकनी से गिरी माहिरा 5 दिनों तक दिल्ली की एम्स ट्रॉमा सेंटर में जिंदगी की जंग लड़ती रही, लेकिन 11 नवंबर को 18 महीने की बच्ची ने दम तोड़ दिया। हालांकि, जाते-जाते भी माहिरा कई लोगों को जिंदगी दे गई। दरअसल, एम्स के डॉक्टर्स ने माहिरा का ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। लेकिन उसके बाकी अंग सही थे, इसके बाद माहिरा के परिजनों ने बच्ची के अंगों को जरूरतमंदों को दान करने का फैसला किया। 

कैसे हुई थी माहिरा की मौत
बताया जा रहा है कि 18 महीने की माहिरा हरियाणा में अपने घर मेवात में बालकनी में खेल रही थी। इस दौरान खेलते-खेलते बालकनी से गिरने से उसके सिर में गंभीर चोटों आई। जिसके बाद उसे दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। जहां 5 दिनों तक उसका इलाज चलता रहा। डॉक्टर्स ने बच्ची को बचाने की पूरी कोशिश की। लेकिन अंत में 11 नवंबर को उसकी मौत हो गई।

पहले भी तीन बच्चे कर चुके हैं अंगदान 
माहिरा से पहले दो और पिछले 6 महीने में 2 परिजनों ने अपने बच्चों के अंग दान किए हैं। रोली एम्स ट्रॉमा सेंटर में अंगदान करने वाली पहली बच्ची थी। उसके बाद 18 महीने के रिशांत ने भी अपने ऑर्गन डोनेट किए थे। रोली के अंगदान की हिस्ट्री सुनकर ही माहिरा के पिता ने ऑर्गन डोनेशन का विचार किया और जाते-जाते भी अपनी बच्ची के अंगों से कई जिंदगियां बचा गए। माहिरा की किडनी 6 साल के बच्चे को ट्रांसप्लांट की जाएगी। वहीं, उसकी दोनों किडनी 17 साल के पेशेंट को एम्स अस्पताल में ही ट्रांसप्लांट की जाएगी। माहिरा के वाल्व और हृदय बाद के लिए संरक्षित कर लिए गए हैं, जो जरूरतमंदों को दिए जाएंगे।

ऊंचाई से गिरना बच्चों की मौत का बड़ा कारण
भारत में बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण ऊंचाई से गिरना है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ समय में ये अनोखा पैटर्न देखा गया है, जहां बच्चों की ऊंचाई से गिरने से मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि बालकनी की ऊंचाई बच्चों की ऊंचाई से दोगुनी होनी चाहिए, क्योंकि बच्चे अक्सर रेलिंग पर चढ़ जाते हैं। जिसके चलते बैलेंस बिगड़ने से वह गिर जाते हैं और उनके सिर में गंभीर चोटें आती हैं या उनकी मौत भी हो जाती है।

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