स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीता रामा राजू ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। अंग्रेजों ने उनके सिर पर 10 हजार रुपए का इनाम रखा था। 27 साल की उम्र में उन्हें पेड़ से बांधकर गोली मार दी गई थी।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा अध्याय संयुक्त राज्य अमेरिका में घटित हुआ था, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
पूरा भीखाजी रुस्तम कामा यानी मैडम कामा, जी हां, यही वह नाम था जिनसे ब्रिटिश सरकार भी खौफ खाती थी। अंग्रेजों ने मैडम कामा पर जुल्म किए वे उनकी हिम्मत के आगे हार गए।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। वह कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीए करने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने वंदे मातरम् गीत लिखा था। यह गीत आजादी के लिए लड़ने वालों के दिलों में जोश भर देता था।
ओके एसआर कुमारस्वामी मुदलियार ने जान देकर तिरंगे की रक्षा की थी। बचपन से ही वे राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रति आकर्षित थे। उनका जन्म इरोड के पास चेन्निमलाई में एक गरीब बुनकर परिवार में हुआ था।
1971 की जंग में चिमन सिंह यादव ने अहम रोल निभाया था। उनके पोत पर दुश्मन ने हवाई हमले किए थे। इसके बाद चिमन सिंह बाकी बचे साथियों के साथ तट पर पहुंचे थे। उन्होंने खुद को दुश्मन के सामने लाकर अपने दो साथियों को पकड़े जाने से बचा लिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें देखने अस्पताल गईं थी।
1971 की जंग में 3 दिसंबर की रात अगरतला में अल्बर्ट एक्का ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी। एक्का और उनके साथियों ने अगरतला को पाकिस्तानी सेना के कब्जे में जाने से बचा लिया था।
अरुण खेत्रपाल ने 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में अदम्य साहस का परिचय दिया था। उन्होंने दुश्मन के 10 से अधिक टैंकों को नष्ट कर दिया था। उनके अपने टैंक में आग लग गई थी, लेकिन वह नहीं रुके। उन्हें मरणोपरान्त परमवीर चक्र दिया गया था।
फाइटर पायलट निर्मलजीत सिंह सेखों 1971 की लड़ाई के दौरान श्रीनगर एयरबेस पर हमला करने आए 6 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों से अकेले भिड़ गए थे। उन्होंने एक विमान को नष्ट कर दिया था और बाकी को खदेड़ दिया था।
कर्नल होशियार सिंह ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हुई लड़ाई में अहम रोल निभाया था। जंग के दौरान वह घायल हो गए थे, इसके बाद भी आगे बढ़कर पाकिस्तानी सेना पर हमला बोल दिया था। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।