सार
सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी व आजसू के बीच फंसा पेंच सुलझ गया है। जिसमें आजसू 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। जानकारी के मुताबिक मंगलवार की देर रात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो में बात हुई, जिसके बाद नये फॉर्मूले पर सहमति बनी है।
रांची. बीजेपी व आजसू के बीच गठबंधन की गांठ सुलझ गई है। सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच फंसा पेंच सुलझ गया है। सूत्रों के मुताबिक आजसू 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। जबकि तीन सीटों पर बीजेपी-आजसू में फ़्रेंडली फ़ाइट होगी। जिसमें लोहरदगा सीट पर दोनों दलों में फ्रेंडली फाइट होगी। जबकि चक्रधरपुर और चंदनकियारी से आजसू अपना उम्मीदवार वापस ले सकती है। जानकारी के मुताबिक मंगलवार की देर रात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो में बात हुई, जिसके बाद नये फॉर्मूले पर सहमति बनी है। थोड़ी देर बाद सुदेश महतो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान कर सकते हैं।
गठबंधन टूटा तो होगा नुकसान
बीजेपी ने 53 और आजसू ने 12 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है। जिसमें सिमरिया, सिंदरी, मांडू, चक्रधरपुर और लोहरदगा सीट पर दोनों ने उम्मीदवार उतारे हैं। उधर, चाईबासा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि आजसू के साथ गठबंधन बचाने की कवायद जारी है। बातचीत चल रही है वो कतई नहीं चाहते हैं कि आजसू के साथ गठबंधन टूटे, लेकिन अगर ऐसी परिस्थिति बनती है तो भाजपा को कोई नुकसान नहीं होने वाला है हमारी पूरी तैयारी है। गिलुवा ने कहा कि 65 पार का नारा केवल भाजपा के हिस्से वाली सीटों को लेकर दिया गया है, इसलिए इस कोई असर का सवाल ही नहीं उठता। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2009 में उनके खिलाफ आजसू मैदान में था। उस समय आजसू के टिकट पर जेएमएम विधायक दशरथ गगराई चुनाव लड़े थे, और हारे थे। दशरथ गगराई इस बार के आजसू प्रत्याशी रामलाल मुंडा से कई गुना ताकतवर और कद्दावर नेता हैं। इसलिए रामलाल के मैदान में उतरने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 2014 में रामलाल मुंडा निर्दलीय चुनाव लड़े थे और महज 1952 वोट ही उन्हें मिल पाया था।