सार
झारखंड में जेपीएसी की तैयारी करने वाले स्टूडेंट के लिए काम की खबर सामने आई है। राज्य सरकार इसकी नियमावली में बदलाव करने वाली है। इसके लिए सरकार ने कमेटी का गठन कर लिया है। इसके साथ आरक्षण के प्रावधान में भी संसोधन हो सकता है। इसके बाद ही जारी होगी अगली एग्जाम डेट।
रांची (झारखंड). जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) द्वारा ली जाने वाली संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के नियमावली में झारखंड सरकार बदलाव करने वाली है। इस बदलाव के बाद पीटी एग्जाम के रिजल्ट में भी बड़ा बदलाव हो सकता है। वर्तमान नियमावली के अनुसार पीटी में कुल सीटों के 15 गुणा अभ्यर्थियों को पास किया जाता था। अब कुल सीटों के विरुद्ध कितने गुणा अभ्यर्थी मेंस और इंटरव्यू में चयनित किये जाएंगे, इसमें सरकार की तरफ से संशोधन किया जा रहा है।
बदलाव के लिए सरकार ने बनाई कमेटी
झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली में बदलाव को लेकर एक कमेटी गठित की हैं। कमेटी के अन्य दो सदस्य वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह तथा खाद्य आपूर्ति सचिव हिमानी पांडेय शामिल हैं। कमेटी की अनुशंसा पर ही सिविल सेवा नियमावली में संशोधन किया जायेगा। जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अभी जो नियमावली है, उसमें कुल सीटों के 15 गुणा अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा तथा कुल सीटों के ढाई गुणा अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। वहीं पीटी परीक्षा पास करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है। रिजर्व वर्ग के अभ्यर्थियों को इसमें कुछ छूट का प्रावधान है। इसके अलावा होने वाले संशोधन में प्रारंभिक परीक्षा की ओएमआर सीट वेबसाइट पर जारी करने को लेकर भी कुछ प्रावधान किये जाने की संभावना है। वर्तमान में पीटी की ओएमआर शीट वेबसाइट पर जारी किया जाता है।
आरक्षण के प्रावधान में भी हो सकता है संसोधन
झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली, 2021 में संशोधन के बाद ही अगली संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होगी। आरक्षण के प्रावधान को लेकर भी संशोधन किये जाने की संभावना है। इस नियमावली में एक संशोधन पूर्व में भी हो चुका है। जनवरी माह में ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ के एक नये प्रस्ताव को हेमंत कैबिनेट में मंजूरी मिली थी। नये नियम के तहत पीटी रिजल्ट में आरक्षित वर्ग (एसटी,एससी और ओबीसी) वर्ग के उम्मीदवारों की संख्या 15 गुणा पूरा हो, इसलिए अनारक्षित वर्ग के चयनित अंतिम उम्मीदवार के अंक से अधिकतम 8 प्रतिशत तक नीचे जाने का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग से वापस आरक्षित वर्ग में आने की सुविधा भी दी गयी थी।