सार
हिंदू धर्म में होलाष्टक (holashtak 2022) को अशुभ समय माना जाता है। ये होलिका दहन के पहले 8 दिन होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। होलाष्टक में सिर्फ भगवान की भक्ति करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
उज्जैन. इस बार होलाष्टक का आरंभ 10 मार्च, गुरुवार से हो रहा है, जो 17 मार्च, गुरुवार तक रहेगा। पंचांगीय गणना के अनुसार 10 मार्च गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र, प्रीति योग, वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलाष्टक (holashtak 2022) का आरंभ होगा। होलाष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, गृह आरंभ, मुंडन कर्म आदि कार्य निषेध माने गए हैं। इस दौरान केवल गुरु मंत्र का जाप तथा विशिष्ट साधना का अनुक्रम रहता है। ऐसी मान्यता है कि मानोवांछित फल की प्राप्ति के लिए होलाष्टक के आठ दिन पर्यंत रात्रि साधना की जाए, तो शीघ्र फलित होती है।
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होलाष्टक को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद
होलाष्टक को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद भी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास का कहना है कि गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब के कुछ हिस्सों में होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य न करने की मान्यता है, जबकि मध्य प्रदेश में ऐसी कोई परंपरा नहीं है। इसलिए जिन स्थानों पर होलाष्टक के लेकर इस तरह की मान्यता नहीं है, वहां शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
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बुध और शुक्र करेंगे नक्षत्र परिवर्तन
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो 10 मार्च को रात्रि में बुध का शततारका नक्षत्र में प्रवेश होगा। इस दिन बुध ग्रह अन्य ग्रहों के साथ युति में गोचर करेंगे। इस दिन व्यापारिक सफलता के लिए कुबेर देवता की साधना की जा सकती है। इसी दिन अपर रात्रि में शुक्र ग्रह भी नक्षत्र परिवर्तन करेंगे। शुक्र की ग्रह युति मकर राशि पर चल रही है। ऐसी स्थिति में शुक्र का श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करना ग्रह युति को अनुकूलता प्रदान करेगा। इसका सकारात्मक प्रभाव व्यापार तथा समाजिक क्षेत्र में दिखाई देगा।
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तिथि वृद्धि होने से कम होगा अशुभ प्रभाव
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस बार होलाष्टक में नवमी तिथि की वृद्धि होगी, लेकिन इसके बावजूद होलाष्टक आठ दिनों का ही रहेगा। ज्योतिष ग्रंथों में होलाष्टक को दोष माना जाता है, जिसमें विवाह, गृह प्रवेश, निर्माण कार्य आदि नहीं हो सकेंगे। ज्योतिष में तिथि वृद्धि को शुभ माना गया है। इसलिए होलाष्टक में नवमी तिथि के बढ़ने से दोष और अशुभ असर में कमी आएगी।
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