सार

17 अगस्त, मंगलवार को सूर्य कर्क (Cancer) राशि से निकलकर सिंह (Leo) में प्रवेश करेगा। इसलिए इसे सिंह संक्राति (Singh Sankranti) कहा जाएगा। इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा करने व अर्घ्य देने की परंपरा है। वर्तमान में सावन (Sawan 2021) मास चल रहा है। इस महीने में शिवजी के साथ सूर्य पूजा का भी बहुत महत्व है। इसलिए इस दौरान आने वाली सूर्य संक्राति को भी एक महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। सिंह राशि के स्वामी स्वयं सूर्य हैं। 

उज्जैन. वर्तमान में सावन (Sawan 2021) मास चल रहा है। इस महीने में शिवजी के साथ सूर्य पूजा का भी बहुत महत्व है। इसलिए इस दौरान आने वाली सूर्य संक्राति को भी एक महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। सिंह राशि के स्वामी स्वयं सूर्य हैं। 17 अगस्त, मंगलवार को सूर्य कर्क (Cancer) राशि से निकलकर सिंह (Leo) में प्रवेश करेगा।  इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा करने व अर्घ्य देने की परंपरा है। इसलिए इस राशि में आने से सूर्य का असर और भी बढ़ जाएगा।
 

सूर्य के साथ भगवान नरसिंह की पूजा
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि हर महीने जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तक संक्रांति आती है और एक साल में कुल 12 संक्रांति आती है।
- सिंह संक्रांति भी इन्हीं में से एक है। इसे सिंह संक्रमण भी कहा जाता है। इस दिन को सभी बड़े पर्व के रूप में मनाते हैं।
- इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान नरसिंह का पूजन किया जाता है। इस दिन भक्त पवित्र स्नान करते है। उसके बाद गंगाजल, नारियल पानी और दूध से देवताओं का अभिषेक किया जाता है।

सिंह संक्रांति (Sinh Sankranti) का महत्व
सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आ जाता है। जिससे सूर्य बली हो जाता है। बली होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। ज्योतिष के मुताबिक सूर्य आत्माकारक ग्रह है। सूर्य का प्रभाव बढ़ने से रोग खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है। सिंह राशि में स्थित सूर्य की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। लगभग 1 महीने के इस समय में रोज सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।

सेहत के लिए भी खास
सिंह संक्रांति पर पूजा के साथ ही गाय का घी भी खाना चाहिए। चरक संहिता के मुताबिक गाय के घी को शुद्ध एवं पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि सिंह संक्रांति पर घी का सेवन करने से यादाश्त, बुद्धि, बलवीर्य, ऊर्जा और ओज बढ़ता है। इसके अलावा गाय का घी खाने से वात, कफ और पित्त दोष दूर रहते हैं और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इस समय गाय का घी खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

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