सार

इस बार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर्व 22 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त शनिवार को शाम 7.02 बजे से शुरू होकर अगले दिन 22 अगस्त रविवार को शाम 5.33 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 22 अगस्त को होने से रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर्व इसी दिन मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। दिनभर में 11 घंटे 16 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस मौके पर मंगलकारी शोभन व धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बनेगा। इस योग में सभी शुभ काम किए जा सकेंगे।

उज्जैन. इस बार खास बात ये रहेगी कि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर अशुभ फल देने वाली भद्रा का साया नहीं पड़ेगा। 22 को भद्रा नक्षत्र सुबह 6.17 बजे तक रहेगा। इसके बाद भद्रा का दोष नहीं होने से सुबह से लेकर पूर्णिमा तिथि के समापन तक दिनभर राखी बांधी जाएगी। इस बीच चौघिड़िया के अनुसार मुहूर्त देखे जा सकते हैं।

नहीं बनेगा श्रवण नक्षत्र का योग
आमतौर पर रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर श्रवण नक्षत्र का योग बनता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। श्रवण नक्षत्र एक दिन पहले 21 अगस्त को ही समाप्त हो जाएगा। श्रावणी (Shravani 2021) उपाकर्म भी इसी दिन सुबह 6.17 बजे के बाद ही होगा। इस दिन शुभ फल देने वाले योग में शामिल शोभन योग भी है। इस योग का स्वामी शुक्र है। इसके अलावा इस दिन शुभ नक्षत्रों में से एक धनिष्ठा नक्षत्र भी रहेगा। जिनमें राखी बांधना भाई की लंबी आयु और बहन की सुख-सौभाग्य के लिए शुभ है।

ये है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) का लाइफ मैनेजमेंट
रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। वहीं भाई भी जीवन भर अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का अनुपम उदाहरण है। जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो वे यह कामना करती हैं कि उसके भाई के जीवन में कभी कोई कष्ट न हो, वह उन्नति करें और उसका जीवन सुखमय हो। वहीं भाई भी इस रक्षा सूत्र को बंधवाकर गौरवांवित अनुभव करते हैं और जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है। यही स्नेह व प्यार इस त्योहार की गरिमा को और बढ़ा देता है।

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