सार
सावन (Sawan 2021) मास की पूर्णिमा (Purnima) को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 अगस्त, रविवार को है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। इस बार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। इसके पहले ऐसा योग 474 साल पहले यानी सन 1547 में बना था। इसके अलावा इस दिन और भी शुभ योग बन रहे हैं।
उज्जैन. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। इसके पहले ऐसा योग 474 साल पहले यानी सन 1547 में बना था।
3 ग्रह रहेंगे एक ही राशि में
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर सूर्य, मंगल और बुध सिंह राशि में रहेंगे। सिंह राशि का स्वामी सूर्य ही है। इस राशि में उसका मित्र मंगल भी रहेगा है। इस दिन शुक्र कन्या राशि में रहेगा। ऐसा योग 2021 से 474 साल पहले बना था यानी 11 अगस्त 1547 को। उस समय भी सूर्य, मंगल, बुध की ऐसी ही स्थिति थी। उस समय शुक्र बुध की मिथुन राशि में था, जबकि इस साल शुक्र बुध ग्रह की ही कन्या राशि में स्थित है।
धनिष्ठा नक्षत्र में मनेगी राखी (Rakhi 2021)
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सामान्यत: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) का पर्व श्रवण नक्षत्र के योग मनाया जाता है, लेकिन इस बार ये पर्व धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा। - इस दिन गुरु कुंभ राशि में वक्री है और इसके साथ चंद्र भी रहेगा। इन दोनों ग्रहों के एक ही राशि में होने से गजकेसरी योग भी इस दिन बन रहा है।
- इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा है ही नहीं। 22 अगस्त की सुबह 5.38 बजे भद्रा खत्म हो जाएगी। इस वजह से दिनभर रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा। रक्षाबंधन पर पंचक रहेगा, लेकिन इस त्योहार पर पंचक होना अशुभ नहीं माना जाता है।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) पर रक्षासूत्र बांधने की है परंपरा
नकारात्मकता और दुर्भाग्य से रक्षा लिए रक्षासूत्र बांधा जाता है। रक्षासूत्र पहनने वाले व्यक्ति विचार सकारात्मक होते हैं और मन शांत रहता है। ऐसी मान्यता है। यह रक्षासूत्र बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है। इस दिन गुरु अपने शिष्य को, पत्नि अपने पति को भी रक्षासूत्र बांध सकती है।