सार
विश्व में भारत सबसे तेजी से विकास करने वाले देशों की श्रेणी में शुमार हो गया है। फाइनेंस से लेकर रक्षा क्षेत्र में हर तरफ भारत का डंका बज रहा है लेकिन क्या स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में हम पीछे हो रहे हैं। जानें क्या कहती है सरकारी रिपोर्ट।
हेल्थ। भारत एक प्रगतिशील देश है और पिछले कुछ सालों में विश्व पटल पर भी भारत के स्तर में काफी सुधार आया है। आज विश्व भर के तमाम देश भारत के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ने के लिए पहल कर रहे हैं। भारत ने रक्षा, अंतरिक्ष, खेल और वैश्विक बाजार में अपने आप को मजबूती से साबित किया है, लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन की एक रिपोर्ट ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के स्तर को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। सरकारी आकलन से पता चला है कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी आई है।
80 फीसदी सुविधाएं फेल साबित
पब्लिक हेल्थ फेसेलेटीज की बात करें आज देश गंभीर बीमारियों के सफल इलाज करने के साथ मेडिकल सुविधाएं देने में भी बेहतर हो गया है, फिर भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कई सारे सुविधाएं और योजनाएं चलाई हैं लेकिन लगभग 80% सुविधाएं बुनियादी ढांचे, जनशक्ति, उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं के लिए सरकार की ओर से तय मानकों को पूरा करने में सफल नहीं रही हैं।
एसेसमेंट में कुछ सर्विसेज ही शामिल हुईं
सरकारी आकलन में जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी के साथ आयुष्मान आरोग्य मंदिरों सहित दो लाख से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को कवर किया गया है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) का लक्ष्य देश भर में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस आंकलन में भी पूरी सुविधाओं ने हिस्सा नहीं लिया था जिनमें से 40,451 ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से विकसित एक डिजिटल टूल ओपन डेटा किट के माध्यम से महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान किए।
आकलन में हैरान करने वाली बात आई सामने
आकलन में खुलासा हुआ है कि देश में लगभग 8089 पब्लिक हेल्थ सुविधाओं का लाभ केवल 20 फीसदी लोग ही ले रहे हैं जो इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुरूप है। यह बताता है कि सभी आवश्यक सुविधाएं लोगों तक ठीक से नहीं पहुंचाई गई है। जबकि इन सुविधाओं में प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, दवाएं, उपकरण मौजूद हैं। दिक्क वाली वाली बात ये है कि देश में 17,190 सुविधाओं जो कि कुल सुविधाओं का केवल 40 फीसदी है और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी दिखाता है। वहीं बाकी की 15172 सुविधाओं को 50% से 80% लोगों ने लाभ लिया है। और यह आईपीएचएस मानकों के पालन को दर्शाता है।