सार
स्वच्छता का ध्यान रखें। समय-समय पर हाथ धोएं। खाना खाने से पहले और बाद में, और शौचालय का उपयोग करने के बाद साबुन और पानी से हाथ धोएं।
केरल में पीलिया के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पीलिया को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह जानलेवा बीमारी है। पीलिया तेजी से फैल रहा है, ऐसे में इसके बारे में अधिक जानना जरूरी है। लिवर को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख बीमारी है हेपेटाइटिस या पीलिया। 'जानलेवा पीलिया' सीरीज में एर्नाकुलम वीपीएस लेक शोर हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप जॉर्ज मैथ्यू बता रहे हैं कि पीलिया से कैसे बचें और खानपान में क्या सावधानी बरतें।
पीलिया लिवर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है। लिवर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ की मात्रा बढ़ने से पीलिया होता है। इससे त्वचा, आंखें और मूत्र पीले हो जाते हैं। पीलिया कई कारणों से हो सकता है। इनमें सबसे आम है वायरल हेपेटाइटिस। शराब का सेवन, कुछ दवाओं का उपयोग, लिवर की बीमारियां आदि से भी पीलिया हो सकता है।
पीलिया से ठीक होने के लिए जीवनशैली में कई बदलाव करने पड़ते हैं। इनमें सबसे पहला है पर्याप्त आराम। पीलिया से ग्रस्त शरीर को आराम की सख्त जरूरत होती है। लिवर को ठीक होने के लिए ऊर्जा चाहिए, इसलिए पर्याप्त आराम जरूरी है। ज्यादा काम, व्यायाम और मानसिक तनाव से बचें।
पीलिया; खानपान में सावधानी
साथ ही खानपान का ध्यान रखें, खूब पानी पिएं, रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं। इससे शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलेंगे और लिवर का काम बेहतर होगा। स्वास्थ्यवर्धक भोजन, यानी फल, सब्जियां, अनाज, दालें आदि खूब खाएं। इनमें भरपूर विटामिन और मिनरल होते हैं। यह लिवर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
कम वसा वाला भोजन करें। तले हुए, भुने हुए, तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ, मांस और डेयरी उत्पादों को सीमित करें। ये लिवर पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं और ठीक होने में देरी करते हैं। फाइबर युक्त भोजन करें। ओट्स, ब्राउन राइस, फल और सब्जियों में भरपूर फाइबर होता है। यह पाचन में सुधार और कब्ज को रोकने में मदद करता है।
साथ ही थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खाना खाना अच्छा होता है। एक दिन में तीन बार ज्यादा खाने के बजाय, थोड़ी मात्रा में 5-6 बार खाएं। इससे लिवर पर बोझ कम होगा और पाचन बेहतर होगा। शराब और धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। शराब और धूम्रपान लिवर के लिए हानिकारक हैं। पीलिया के मरीजों को शराब और धूम्रपान पूरी तरह छोड़ देना चाहिए।
शरीर के स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए। तनाव कम करें। तनाव लिवर के कामकाज को प्रभावित करता है। योग, ध्यान, संगीत, पढ़ना जैसी विश्राम विधियां अपनाएं। साथ ही सकारात्मक सोच रखें। सकारात्मक विचार बीमारी से उबरने में तेजी लाते हैं।
डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं समय पर लें। पीलिया के कारण के आधार पर डॉक्टर दवाएं लिख सकते हैं। इन दवाओं को समय पर लेने से बीमारी से जल्दी उबरने में मदद मिलती है। स्व-उपचार से बचें। केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं लें।
स्वच्छता का ध्यान रखें। समय-समय पर हाथ धोएं। खाना खाने से पहले और बाद में, और शौचालय का उपयोग करने के बाद साबुन और पानी से हाथ धोएं। पीलिया के मरीजों के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। अपने कपड़े, बर्तन और अन्य सामान दूसरों के साथ साझा न करें। हेपेटाइटिस ए, बी और सी संक्रामक रोग हैं। इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को दूसरों में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। पीलिया के मरीजों को नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना चाहिए और जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर के निर्देशों का पालन करने से बीमारी से जल्दी उबरने में मदद मिलती है।
ध्यान देने योग्य बातें
* पीलिया जानलेवा हो सकता है, इसलिए स्व-उपचार न करें।
* लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
* पीलिया के मरीजों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
* पीलिया के मरीजों के परिवार के सदस्यों को भी पीलिया का टीका लगवाना चाहिए।
इन बातों का पालन करने से पीलिया से जल्दी उबरने में मदद मिलेगी।
पीलिया से बचाव के लिए ये बातें ध्यान रखें
* साफ पानी पिएं।
* साफ खाना खाएं।
* व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।
* हेपेटाइटिस ए और बी का टीका लगवाएं।
* शराब और धूम्रपान से बचें।
* पीलिया के मरीजों के साथ निकट संपर्क से बचें।
पीलिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है।