सार

उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अंग कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में, मरणासन्न व्यक्ति को दूध या पानी पिलाना घातक हो सकता है क्योंकि यह श्वासनली में जाकर सांस बंद कर सकता है।

मृत्यु एक अमर सत्य है। बीमारी से मरना सबसे आम कारणों में से एक है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में गिरावट आती है। वृद्धावस्था में कुछ लोग स्वस्थ रहते हैं, जबकि कुछ बीमार होकर बिस्तर पर ही रहते हैं। उनकी हालत बिगड़ जाती है और कभी भी मृत्यु हो सकती है। ऐसी स्थिति में, जब व्यक्ति केवल सांस ले रहा होता है, तो उसके मुंह में दूध या पानी डालने से उसकी मृत्यु हो सकती है। आइए जानते हैं इसका कारण विस्तार से।

हम जो सांस लेते हैं वह नाक और मुंह दोनों से होकर एक ही जगह पर आती है। उसके पास ही श्वासनली और आहार नली का एक नाजुक सा द्वार होता है। इसमें भोजन को ग्रासनली में और सांस लेने पर श्वासनली में भेजने की एक नाजुक व्यवस्था होती है।

 

उम्र बढ़ने के साथ-साथ मनुष्य की हर मांसपेशी और उसके कार्य करने की क्षमता कम होती जाती है। जब एक व्यक्ति बिस्तर पर लेटा होता है और उसका हृदय धीरे-धीरे धड़क रहा होता है, तो उसके मुंह में दूध डालने से वह भोजन नली की बजाय श्वासनली में चला जाता है और सांस लेने में बाधा डालता है। यही कारण है कि व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। इसलिए बीमार और वृद्ध लोगों को आखिरी बार दूध पिलाया जाता है।

 

खासकर मृत्यु के समय, सांस लेना और छोड़ना मुंह से ही होता है। ऐसे में अगर मुंह में दूध डाला जाए तो वह भोजन नली की बजाय श्वासनली में चला जाता है और सांस रुकने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसे एक तरह की दया हत्या भी कहा जाता है। कई बार खाना खाते समय भी खाना भोजन नली की बजाय श्वासनली में चला जाता है जिससे हमें खांसी आती है। कई बार मुंह से पिया हुआ पानी नाक से भी बाहर निकल जाता है, यह भी इसी कारण से होता है।