सार
अक्सर डॉक्टर भी मरीज के लक्षण को देखकर लंग्स कैंसर को टीबी समझने की भूल कर जाते हैं। जिसका नतीजा होता है कि कैंसर अंदर फैलता रहता है और जबतक इसका पता चलता है मरीज स्टेज 4 पर पहुंच जाता है।
हेल्थ डेस्क. टीबी (ट्यूबर कुलोसिस) और लंग्स कैंसर को लेकर अभी भी लोगों के मन में गफलत है। इसे लक्षण सामान होने की वजह से कई जगह पर लोग टीबी का इलाज कराने लगते हैं। कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एक स्टडी के मुताबिक 147 मरीजों में से 129 का टीबी का इलाज होता रहा। जब कैंसर ने उनके फेफड़ों को जकड़ लिया और तब उन्हें पता चला कि उन्हें लंग्स कैंस (Lung Cancer) हुआ था। इलाज में देरी होने की वजह से उनका कैंसर स्टेज 4 पर पहुंच गया है। आइए जानते हैं दोनों के बीच क्या अंतर होता है।
टीबी क्या होती है ?
यदि कोई 3 हफ्तों से खांसी से पीड़ित है। दवा खाने के बाद भी ये नहीं रुक रही है। तो यह टीबी का लक्षण होता है। टीबी में खांसी सूखा या फिर गीला दोनों प्रकार का हो सकता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जो व्यक्ति के खांसने और छींकने से दूसरे व्यक्ति को होता है ।
फैफड़ों का कैंसर क्या है ?
जब एक लंबी और बेहिसाब खांसी में बलगम के साथ-साथ खून के लक्षण दिखाई दें तो यह फिर यह लंग्स कैंसर की पहचान है। इसके अलावा लंग्स कैंसर में सांस लेने में दिक्कत,छाती में दर्द शामिल है। अमूमन टीबी के लक्षण भी यहीं होता है।
टीबी का इलाज
डॉक्टर टीबी के मरीज को जो दवा देती है तो दो या तीन हफ्तों में उसे आराम हो जाता है। लेकिन अगर दवा खाने के बाद भी मरीज की स्थिति ठीक नहीं होती है तो फिर लंग्स कैंसर की जांच की जाती है। दिल्ली एम्स के एक रिपोर्ट में सामने आया था कि लंग्स कैंसर के 75 प्रतिशत रोगी वह है जो पहले कभी टीबी के संक्रमित थे।
लंग्स कैंसर और टीबी होने के कारण भी करीब सामान
फेफड़ों का कैंसर सबसे ज्यादा धूम्रपान करने वाले या फिर धुएं वाले स्थान पर रहने वाले लोगों को होता है। जैसे कारखाने, मिल या फैक्टरी में काम करने वाले लोग इसके शिकार हो सकते हैं। ठीक वैसे ही टीबी भी उन लोगों को ज्यादा होता है जो तंबाकू का सेवन, धूम्रपान या धुएं वाले स्थान पर काम करते हैं।
कैसे करें पहचान
अगर खांसी लगातार तो टीबी के साथ-साथ लंग्स कैंसर का भी जांच कराएं। अगर आप शुरुआत में टीबी का इलाज करा रहे हैं और दो से तीन हफ्ते में भी खुद को ठीक नहीं महसूस कर रहे हैं तो तुरंत लंग्स कैंसर का भी टेस्ट कराएं। टेस्ट के बाद ही स्थिति साफ हो सकती है।
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