सार
कोरोनावायरस महामारी के दौरान ज्यादातर लोगों में तनाव, निराशा और डिप्रेशन की समस्या देखी जा रही है। बहुत से लोग इस वजह से आत्महत्या जैसा कदम भी उठा रहे हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस महामारी के दौरान ज्यादातर लोगों में तनाव, निराशा और डिप्रेशन की समस्या देखी जा रही है। बहुत से लोग इस वजह से आत्महत्या जैसा कदम भी उठा रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस महामारी ने लोगों को एक-दूसरे से अलग-थलग किया है। दरअसल, इस महामारी से जुड़ा सोशल डिस्टेंसिंग शब्द ही अपने आप में नकारात्मक है। अगर लोगों में सामाजिक दूरी बढ़ती है, तो उनमें तनाव और निराशा का बढ़ना स्वाभाविक है। वहीं, देखने में यह आता है कि अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ तो लोग उससे और उसके पूरे परिवार से दूरी बना लेते हैं। यह एक तरह के सामाजिक बहिष्कार जैसा होता है। जरूरतमंद लोगों को पास-पड़ोस के लोगों से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाती। लोग उनके साथ अछूतों से भी बदतर व्यवहार करने लगते हैं। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब कोरोनावायरस से मौत के शिकार हुए लोगों का अंतिम संस्कार करने तक से परिवार के लोगों ने इनकार कर दिया। जाहिर है, जहां इतनी दूरी होगी तो इसका किसी के मन पर बहुत घातक असर पड़ सकता है और वह सुसाइड करने की कोशिश कर सकता है।
1. लोगों के मन में बैठ गया डर
कोरोना से भी खतरनाक महामारियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस महामारी की इतनी ज्यादा चर्चा हुई कि लोगों के मन में डर बैठ गया। उन्हें लगने लगा कि इसमें सबों से दूरी बना कर चलना ही बेहतर है। सोशल डिस्टेंसिंग का गलत मतलब निकाला गया। यही वजह है कि अगर किसी के कोरोनावायरस से इन्फेक्टेड होने की शंका भी होती है, तो उसका बहिष्कार किया जाने लगता है। इससे इंसान मानसिक तौर पर टूट जाता है। इसलिए कोरोना के डर से बचना होगा।
2. संवेदनशीलता बरतें
कोरोना संकट के इस दौर में संवेदनशील बने रहना सबसे जरूरी है। अगर आपके घर में या पास-पड़ोस में कोई किसी तरह की परेशानी की हालत से गुजर रहा है, तो उसका हाल-चाल जानना जरूरी है। अगर उसे किसी तरह की मदद की जरूरत है, तो इसका ध्यान रखना होगा। अगर आप खुद मदद करने की स्थिति में नहीं हैं, तो किसी संस्था या सरकारी एजेंसी को इसकी सूचना दे सकते हैं।
3. तनाव कम करने का करें उपाय
अगर आपके घर में या जान-पहचान के दायरे में कोई तनाव में दिखाई पड़ता है, तो उससे बातचीत करें और उसके तनाव की वजह को जानने की कोशिश करें। ऐसे व्यक्ति से सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना जरूरी है। यह हमेशा संभव नहीं कि आप किसी की समस्या का समाधान कर सकें, लेकिन आपकी उत्साह बढ़ाने वाली बातों से किसी को दिलासा मिल सकती है।
4. डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को अकेला मत छोड़ें
अगर आपके घर में कोई डिप्रेशन का शिकार हो गया हो तो उस पर झुंझलाएं नहीं, न ही उपदेश देने की कोशिश करें। आप उसके साथ ऐसा व्यवहार करें कि उसे लगे कि कोई किसी भी परिस्थिति में उसके साथ है। इससे उसमें सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। वहीं, डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को कभी भी अकेला मत छोड़ें। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
5. मनोचिकित्सक की सहायता लें
अगर कोई शख्स यह कहता है कि वह सुसाइड कर लेगा तो इसे हल्के में मत लें। यह एक तरह की चेतावनी होती है। ऐसा कह कर व्यक्ति लोगों की प्रतिक्रिया को समझना चाहता है। कोई इस तरह की बात करता हो और हमेशा उदास, चिड़चिड़ा व दिमागी तौर पर परेशान रहता हो तो मनोचिकित्सक की सलाह लेने में देर नहीं करें।