सार

कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में डिप्रेशन की समस्या काफी बढ़ती जा रही है। हर उम्र के लोग तनाव, चिंता और अवसाद की समस्या से जूझ रहे हैं। जब यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, तो लोग सुसाइड जैसा कदम भी उठा लेते हैं। 

लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में डिप्रेशन की समस्या काफी बढ़ती जा रही है। हर उम्र के लोग तनाव, चिंता और अवसाद की समस्या से जूझ रहे हैं। जब यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, तो लोग सुसाइड जैसा कदम भी उठा लेते हैं। दरअसल, डिप्रेशन के लक्षणों को समझ पाना आसान नहीं होता है। यह समस्या धीरे-धीरे जड़ जमाती है। शुरुआत में लोग इसे ज्यादा महत्व नहीं देते। वे इसे चिंता और उदासी से जोड़ कर देखते हैं और यह समझते हैं कि अपने आप यह समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। 

कोरोना महामारी का असर
कोरोनावायरस महामारी की वजह से महीनों से लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। उनकी डेली लाइफ में बड़ा बदलाव आया है और उनके सामाजिक संपर्क भी पहले जैसे नहीं रहे हैं। लोग दूर रहने वाले अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से भी कट गए हैं। इसके अलावा, कोरोना महामारी की वजह से कमोबेश हर स्तर के लोगों को आर्थिक परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं की वजह से चिंता पैदा होती है। यही चिंता धीरे-धीरे गहरी उदासी और डिप्रेशन में बदल जाती है। इसके लक्षणों को समझने पर ही इसे दूर किया जा सकता है। जानें इसके लक्षण।

1. घबराहट महसूस होना
डिप्रेशन की समस्या होने पर किसी को बार-बार घबराहट होने लगती है। इसकी कोई स्पष्ट वजह भी सामने नहीं आती, लेकिन डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे लोग घबराहट की वजह से डर और परेशानी महसूस करने लगते हैं।

2. चुप रहना
जो लोग डिप्रेशन की समस्या के शिकार होते हैं, वे ज्यादातर समय चुप रहते हैं। बहुत पूछने पर भी वे जल्दी कुछ नहीं बोलते। कोई जरूरत होने पर बहुत ही कम शब्दों में अपनी बात कहते हैं। ये घर के लोगों के साथ दोस्तों से भी दूरी बना लेते हैं।

3. सामान्य गतिविधियों से बढ़ती है दूरी
डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाने पर लोग सामान्य गतिविधियों से भी दूरी बना लेते हैं। वे समय पर अपने रोज के काम नहीं करते। शेविंग करना, समय पर नहाना-धोना, नाश्ता करना, अखबार पढ़ना या टीवी देखना भी वे छोड़ देते हैं। 

4. खानपान में अरुचि
डिप्रेशन की समस्या गंभीर हो जाने पर खानपान में रुचि कम हो जाती है। इस समस्या के शिकार लोगों को भूख नहीं लगती। वहीं, कुछ लोगों को ज्यादा भूख लगती है। वैसे, डिप्रेशन के शिकार लोग ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं। इससे वे शारीरिक तौर पर भी कमजोर हो जाते हैं।

5. नींद का नहीं आना 
जो लोग डिप्रेशन की समस्या के शिकार होते हैं, उन्हें समय पर नींद नहीं आती। कई लोगो को नींद आती भी है तो बीच-बीच में टूटती रहती है। डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे लोगों की नींद सुबह 3-4 बजे के आसपास खुल जाती है और उस समय वे बहुत बेचैनी महसूस करने लगते हैं। 

क्या करें
अभी भी ज्यादा लोग डिप्रेशन को कोई गंभीर समस्या या बीमारी नहीं मानते। शुरुआती अवस्था में या किसी खास परेशानी की वजह से पैदा होने वाला डिप्रेशन कुछ समय में अपने आप दूर हो जाता है, लेकिन जब यह जड़ जमा ले तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। डिप्रेशन के मरीजों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति सबसे ज्यादा देखी गई है। इसलिए किसी के साथ डिप्रेशन की समस्या होने पर उसे मनोचिकित्सक से दिखाना और सलाह लेना जरूरी है।