सार

घर में नकारात्मक लोगों से कैसे निपटें? जानिए टॉक्सिक फैमिली मेंबर्स से कैसे बचें और अपने मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करें। यहाँ दिए गए सुझावों से बनाएँ घर का माहौल सकारात्मक।

रिलेशनशिप डेस्क। मॉर्डन जिंदगी में टॉक्सिक (Toxic)  शब्द का वर्ल्ड आपने कई बार सुना होगा। ज्यादातर लोग इसका यूज रिलेशनशिप में करते हैं, की पार्टनर टॉक्सिक है पर क्या किया जाए अगर घर में कोई इंसान ही ऐसा हो। जिसका नाम लेते दिन खराब हो जाता है। या फिर बात करने का मन न करता हो। कभी-कभी कुछ घरों में टॉक्सिक लोग होते हैं जो पूरे माहौल को खराब कर देते हैं। जो घर कभी कंफर्ट हुआ करता था, आज स्ट्रेस लगता है। ऐसे में घर फैली निगेटिविटी और वहां मौजूद नकारात्मक लोगों से कैसे डील करें। ये आज हम आपको बताएंगे। 

1) बातों को नजरअंदाज करना

घर के लोगों को आपसे से बेहतर कोई नहीं जानता हैं। ऐसे में उनका नेचर जानते हुए बातों को दिल से लगाना बंद कर दें। आधी समस्या का निदान यहीं पर हो जाएगा। दिल तब दुखता है,यदि बातों को सोचा जाएं। उसको महत्व दिया जाए। टॉक्सिक माहौल से बचने का एक तरीका है, बातों का जितना हो सके नजरअंदाज करें। 

ये भी पढ़ें- हर देश में बच्चा होगा मेरा:32 साल की उम्र में 100 बच्चों का पिता बनेगा यह शख्स

2) कम बात करना

जब बात अपनों की होती है तो चुप रहना ज्यादा बेहतर होता है। यहां पर ये सोचने की जरूरत नहीं है, कि मैं बड़ा हूं वह छोटा है। आप जितना चुप रहेंगे, जिंदगी उतनी आसान रहेगी। मौन किसी भी जंग का सबसे बढ़िया जवाब होता है।

3) दूसरों से मत करें बुराई

घर में चाहे लाख बुराई हो पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है, आप इसका ढिंढोरा बाहर पीटें और लोगों से बताएं। लोग कुछ समय के लिए सहानुभूति देंगे, कुछ समय बाद वही मजाक उड़ाएंगे। ऐसे में कोशिश करें, पर्सनल लाइफ दूसरों से शेयर करने से बचें । हो सके खुद से सॉल्व करने की कोशिश करें।

ये भी पढ़ें- बच्चे संग खेलें Traditional Games, पेरेंट्स ना करें भविष्य से खिलवाड़

4) खुद से सवाल पूछना बंद करें

घर पर चीजें खराब होने से लोग खुद से सवाल पूछने लगते हैं। आखिर मेरे साथ साथ ऐसा क्यों। आप दुनिया में अकेले नहीं है। बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास परिवार ही नहीं है। या फिर कई लोग अपने परिवार से ज्यादा दोस्त के साथ समय बिताते हैं। ऐसे में खुद से सवाल करना बंद करें और जो सच हैं उसे स्वीकार करें।

ये भी पढ़ें- पैदा करने वाली मां के बजाय पापा के सबसे करीब क्यों होती हैं बेटियां?