सार

क्या जन्मक्रम बच्चे के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है? नई रिसर्च बताती है कि मझले बच्चे, जिन्हें अक्सर उपेक्षित समझा जाता है, शायद अपने भाई-बहनों से बेहतर हों। जानिए, इस स्टडी के चौंकाने वाले नतीजे।

बच्चे का स्वभाव और चरित्र कैसा होगा क्या इसपर उनके पैदा होने के क्रम से असर पड़ता है। हाल ही में हुई एक स्टडी से इसके बारे में बड़ी जानकारी मिली है। मझले बच्चे को लंबे समय से पीड़ित माना जाता रहा है। कहा जाता रहा है कि पहला बच्चा मुखर होता है। वहीं, सबसे छोटा बच्चे को अधिक लाड़-प्यार मिलता है। मझला बच्चा इनके बीच फंस जाता है।

पहले जन्मे बच्चों को अक्सर मुखर और बुद्धिमान माना जाता है। वहीं, सबसे छोटे बच्चों को कभी-कभी "बिगड़ैल" कहा जाता है। हालांकि मध्यम बच्चों को अक्सर "मिडिल-चाइल्ड सिंड्रोम" से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि ये अपने माता-पिता द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं। नए शोध से पता चला है कि मझले बच्चे अपने भाई-बहनों से शायद "बेहतर" हो सकते हैं।

अधिक ईमानदार होते हैं मझले बच्चे

ब्रॉक यूनिवर्सिटी के कनाडाई शोधकर्ता माइकल एश्टन और कैलगरी यूनिवर्सिटी के किबेओम ली के अनुसार उनके शोध से पता चला है कि मझले बच्चे "अपने भाई-बहनों की तुलना में अधिक ईमानदार, विनम्र और सहयोग करने वाले होते हैं। ये गुण मझले बच्चों को "बेहतर" बना सकते हैं।

स्टडी में HEXACO व्यक्तित्व सूची का इस्तेमाल किया गया। टेस्ट में छह व्यक्तित्व लक्षणों का मूल्यांकन किया गया। वे हैं ईमानदारी-विनम्रता, भावुकता, बहिर्मुखता, सहमति, कर्तव्यनिष्ठा और अनुभव के प्रति खुलापन। मध्यम बच्चों ने ईमानदारी-विनम्रता और सहमति में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए।

टेस्ट के अनुसार वे दूसरों को माफ करने, आसानी से सहयोग करने, अपने गुस्से को नियंत्रित करने और व्यक्तिगत लाभ के लिए दूसरों से छेड़छाड़ करने से बचने की अधिक संभावना रखते हैं। मध्यम बच्चों को धन और स्टेटस में भी कम दिलचस्पी होती है।

टेस्ट में मझले बच्चों ने टॉप स्थान प्राप्त किया, जबकि सबसे छोटे भाई-बहनों का स्थान बहुत पीछे था। सबसे बड़े बच्चों ने ईमानदारी-विनम्रता और सहमत होने के मामले में सबसे कम अंक प्राप्त किए। इकलौते बच्चों का प्रदर्शन भी इन क्षेत्रों में खराब रहा।