सार
वास्तु एक्सपर्ट पंकित गोयल के अनुसार, नॉर्थ वेस्ट, साउथ ईस्ट और साउथ वेस्ट दिशा में मुख्य द्वार होने से व्यापार में नुकसान, कर्ज और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं आ सकती हैं। जानें इन समस्याओं का समाधान और बिजनेस में तरक्की के वास्तु टिप्स।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, व्यापार स्थल में प्रवेश द्वार की दिशा बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऊर्जा, धन और अन्य चीजों के प्रवेश मार्ग होने के कारण मुख्य द्वार का सही वास्तु होना बहुत जरूरी है। यदि घर या व्यापार स्थल का मुख्य द्वार सही स्थान पर है, तो इससे आपको व्यापार में तरक्की एवं घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। हालही में वास्तु एक्सपर्ट पंकित गोयल ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर मुख्य द्वार को लेकर पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि नॉर्थ वेस्ट, साउथ ईस्ट और साउथ वेस्ट में प्रवेश द्वार होने से विशेष रूप से व्यापारियों के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। साथ ही एक्सपर्ट इसके समाधान भी बताया है, चलिए देखते हैं।
1. नॉर्थ वेस्ट (उत्तर-पश्चिम) दिशा में प्रवेश द्वार
- कर्ज: इस दिशा में प्रवेश द्वार होने से धन की आवक कम होती है और व्यापार में कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है।
- व्यापारिक रिश्ते खराब होना: पार्टनरशिप और ग्राहकों के साथ संबंधों में तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
- मानसिक अस्थिरता: उत्तर-पश्चिम दिशा का द्वार मन को भटकाता है, जिससे निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है।
- समाधान: एल्युमीनियम या आयरन की पत्ती रखें, यह बुरे प्रभाव को रोकेगा।
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2. साउथ ईस्ट (दक्षिण-पूर्व) दिशा में प्रवेश द्वार
- लॉस और असंतुलन: इस दिशा का प्रवेश द्वार आर्थिक हानि, निवेश में नुकसान और धन-संपत्ति के बंटवारे का कारण बन सकता है।
- स्वास्थ्य समस्याएं: व्यापारिक स्थल पर इस दिशा का प्रवेश द्वार कर्मचारियों और मालिकों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- आग और विवाद: अग्नि तत्व से संबंधित होने के कारण विवाद और गुस्से की स्थिति बढ़ सकती है।
- समाधान: यहां पर तांबा या कॉपर की पत्ती रखें, यह नुकसान होने से रोकेगा।
- अग्नि तत्व को शांत करने के लिए दरवाजे के पास जल तत्व (जैसे पानी का कटोरा) रखें।
3. साउथ वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम) दिशा में प्रवेश द्वार
- घाटा और आर्थिक समस्याएं: इस दिशा में प्रवेश द्वार से धन-संपत्ति का नुकसान और व्यापार में घाटा होता है।
- परिवार और व्यापार में अस्थिरता: व्यापार में स्थिरता की कमी और परिवार में तनाव की संभावना होती है।
- नेतृत्व में कमी: दक्षिण-पश्चिम दिशा का द्वार मालिक की स्थिति को कमजोर करता है।
- समाधान: इस दिशा के प्रवेश द्वार को बंद करना ही उचित है, इस द्वार पर आप चाहे कितने भी उपाय कर लो आपको नुकसान और कर्ज तो होगा ही होगा।
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व्यापारियों के लिए खास वास्तु टिप्स:
- मुख्य द्वार पर रोशनी: सभी दिशाओं में प्रवेश द्वार को सकारात्मक ऊर्जा देने के लिए रोशनी (जैसे दीया या बल्ब) रखें।
- प्रवेश द्वार का रंग: वास्तु के अनुसार रंगों का चयन करें। नकारात्मक दिशाओं में गहरे रंग का उपयोग करें।
- धातु और यंत्रों का प्रयोग: चांदी, तांबा, या पीतल के वास्तु यंत्र इन दिशाओं में होने वाले दोष को शांत कर सकते हैं।
- मुख्य द्वार का स्वरूप: द्वार हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें। फटे या पुराने दरवाजे नकारात्मकता को आकर्षित करते हैं।